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परिशिष्ट ४
हंटर समितिकी रिपोर्टके सम्बन्धमें भारत सरकारका खरीता
भारत सरकार, गृह विभाग
राजकीय

सेवा में
परममाननीय एडविन मॉण्टेग्यु,
महामहिमके भारत-मन्त्री

शिमला
३ मई, १९२०

महोदय,

आपकी जानकारी और महामहिमकी सरकार जो आदेश देना चाहे उसे जारी करनेके लिए हम उपद्रव समिति द्वारा ८ मार्च, १९२० को दी गई रिपोर्ट पेश कर रहे हैं। साथ ही हम रिपोर्टपर अपना दृष्टिकोण और निष्कर्ष भी प्रस्तुत कर रहे हैं। साधारण रूपसे तो रिपोर्ट एक प्रस्तावके साथ भारत सरकारके गृह विभाग में प्रकाशित कर दी जाती, परन्तु हम मामलेको इतना महत्त्वपूर्ण मानते हैं कि आपसे बातचीत के बाद हमने फैसला किया है कि महामहिमकी सरकारकी जानकारीके लिए रिपोर्टपर अपने विचार और निष्कर्ष आपतक पहुँचा देना उत्तम होगा। हम यह भी कहना चाहते हैं कि हमारे विचार और निष्कर्ष सर्वसम्मत हैं। केवल कुछ मुद्दोंपर हमारे आदरणीय साथी श्री शफी असहमत थे; उनका स्पष्ट संकेत कर दिया गया है। हम यह भी कह दें कि हमारे आदरणीय साथी सर जॉर्ज लाउण्डेज, जो अब छुट्टीपर हैं, उन सभी निष्कर्षोंसे सहमत थे जिनपर हम उनके जानेसे पहले पहुँच चुके थे।

२. १४ अक्तूबर, १९१९ के प्रस्ताव सं॰ २१६८ में, सपरिषद् गवर्नर जनरलने उपनिवेश मन्त्रीकी सहमति से बम्बई, दिल्ली और पंजाबमें हुए उपद्रवों, उनके कारणों और उनसे निपटने के लिए अपनाये गये उपायोंकी जाँचके लिए एक समिति नियुक्त की। माननीय लॉर्ड इंटर, जो हाल ही तक स्कॉटलैंडके महा न्यायाभिकर्त्ता (सॉलिसिटर जनरल) थे और जो अब स्कॉटलैंड में कालेज ऑफ जस्टिसके सीनेटर हैं, समितिके अध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य थे :

(१) माननीय न्यायाधीश श्री जी॰ सी॰ रैंकिन, कलकत्ता उच्च न्यायालयके न्यायाधीश।
(२) माननीय श्री डब्ल्यू॰ एफ॰ राइस, सी॰ एस॰ आई॰, आई॰ सी॰ एस॰, भारत सरकारके गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव।
(३) मेज़र जनरल सर जॉर्ज बैरो, के॰ सी॰ बी॰ के॰ सी॰ एम॰ जी॰, आई॰ ए॰, पेशावर डिवीजन के कमांडर।
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