पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/६०७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

परिशिष्ट २
भारत के मुसलमानोंको वाइसरायका सन्देश[१]

टर्कीके साथ शान्ति-सन्धिके सम्बन्धमें किये गये मित्र राष्ट्रोंकी सर्वोच्च परिषद् के फैसले संसारको विदित करा दिये गये हैं। सभी देशोंके मुसलमानोंके आवेदनोंपर अत्यन्त गम्भीरता और सावधानी के साथ सोच-विचार करनेके बाद वे फैसले किये गये हैं और मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि सर्वोच्च परिषद् ने अपने इस मौजूदा फैसलेपर पहुँचनेसे पहले उन आवेदनोंपर भी विचार किया है जो सम्राट्की भारतीय मुसलमान प्रजाकी ओरसे आये थे। मेरी सरकार सन्धि-शर्तोंके साथ-साथ एक वक्तव्य भी जारी कर रही है जो प्रमुख फैसलों और उनके कारणोंपर प्रकाश डालता है। ये फैसले उन ऊँचे सिद्धान्तोंके अनुरूप हैं जो हालके युद्धमें ब्रिटेन और उसके मित्रोंके विरुद्ध लड़नेवाले अन्य सभी राष्ट्रोंके साथ हुई शान्ति संधिमें प्रयुक्त हुए हैं। तथापि मुझे डर है कि उसमें ऐसी शर्तें भी हैं जो सभी मुसलमानोंको कष्टप्रद होंगी। दीर्घकालीन विलम्बके कारण आप एक वर्षसे भी अधिक समयतक चिन्ताग्रस्त रहे हैं। यद्यपि यह विलम्ब अपरिहार्य था फिर भी आपके लिए मुझे खेद हुआ है और अब इस संकट-कालमें में आपको एक सहानुभूति और प्रोत्साहनका सन्देश भेजना चाहता हूँ, जो मुझे विश्वास है कि आपको साहस प्रदान करेगा। साम्राज्यकी ज़रूरत के समय आपकी ओरसे अपने सम्राट् व देशकी पुकारपर बहुत अच्छी अनुकूल प्रतिक्रिया हुई और वैसा करके आपने न्याय और मानवताके उन आदर्शोंकी विजयमें जिसके लिए मित्रराष्ट्रोंने युद्ध किया, बहुत योगदान दिया। साम्राज्य, जिसके आप एक अंग हैं, अब इन आदर्शों पर दृढ़ता से स्थापित हो गया है, और भारत के उन मुसलमानोंके लिए जिन्होंने सदैव ही ब्रिटिश राज्यके अन्तर्गत पूर्ण धार्मिक स्वतन्त्रताका सुख पाया है, राजनैतिक प्रगति और लौकिक उन्नतिका उज्ज्वल भविष्य दिखाई दे रहा है। हालके विनाशकारी युद्धसे पूर्व ग्रेट ब्रिटेनके टर्की से हमेशा अच्छे मैत्री सम्बन्ध रहे और मुझे विश्वास है कि इस नई संधिके हो जानेपर वह मंत्री पुनः शीघ्र पनपेगी और टर्की पुनरुज्जीवित होकर आशा और शक्ति से सम्पन्न होगा और भूतकालके समान ही भविष्य में भी इस्लाम धर्मके स्तम्भके रूप में स्थिर रहेगा। में समझता हूँ कि यह विचार आपको त्याग, साहस और धैर्य के साथ सन्धिकी शर्तें स्वीकार करने और सम्राट्के प्रति अपनी निष्ठा उज्ज्वल और निष्कलंक बनाये रखने की शक्ति देगा, जैसी कि वह कई पीढ़ियोंसे चली आ रही है।

भगवान् सम्राट्की रक्षा करे।

(हस्ताक्षर) चेम्सफोर्ड

[अंग्रेजी से]
ऑल अबाउट द खिलाफत
  1. यह भारतके १४ मई, १९२० के असाधारण गज़टमें प्रकाशित किया गया था।