२४४. पत्र : एस्थर फैरिंगको
बम्बई
२५ जून, १९२०
तुम्हें पत्र लिखने में मैं नियमित नहीं रह पाया, यद्यपि चाहता अवश्य था। खिलाफत प्रश्नके सम्बन्धमें में बहुत व्यस्त रहा हूँ, परन्तु मैंने एम॰[१] से मेरी ओरसे तुम्हें लिखनेको जरूर कहा था। तुम्हें 'यंग इंडिया' नियमित रूपसे मिलता ही होगा।
मैं आशा करता था कि तुम जहाजसे[२] समाचार भेजोगी। परन्तु अभीतक तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला है। मैंने तुम्हें एक पत्र[३] इस ढंगसे भेजा था कि वह तुम्हें जहाजपर मिल जाये और दूसरा[४] लंदन के पतेपर, टामस कुककी मार्फत भेजा था। आशा है कि तुम्हें दोनों पत्र अवश्य मिले होंगे।
फिलहाल मेरा बम्बई से बाहर जाना असम्भव है। इस पत्रके साथ में वाइसरायको लिखे गये अपने पत्रोंकी[५] प्रतियाँ भेज रहा हूँ। उनसे तुम्हें मेरी गतिविधिका एक अन्दाज हो जायेगा। देवदास मेरे साथ है। अपने पिताजी से तुम्हारी भेंटके बारेमें मैं जाननेको उत्सुक हूँ और यह भी जानना चाहता हूँ कि तुम्हारा स्वास्थ्य कैसा है। निश्चय ही मैं तुम्हारा पत्र नियमित रूपसे पानेकी आशा करता हूँ।
- सस्नेह,
तुम्हारा,
बापू
- [अंग्रेजी से]
- माई डियर चाइल्ड