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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कोणको तुमने ठीक समझा नहीं। किसी भी मनुष्यके प्रति घृणा भावसे प्रेरित होकर, उसके साथ न खाना पाप है। परन्तु आत्मसंयमके कारण किसीके साथ न खाना एक गुण है। क्या तुम्हें पता है कि भारतमें कितनी ही माताएँ अपने परिवारके साथ भी भोजन न करनेका संयम बरतती हैं? मेरा खयाल है कि नरोत्तम सेठकी मां परिवारके सामान्य भोजनालय में भोजन नहीं करती। मेरी रायमें उनका आत्मसंयम अनावश्यक है। फिर भी, सम्भव है कि उसमें कुछ अच्छाई हो। उसमें पाप तो निश्चित ही नहीं है। इसी प्रकार पत्नीका चुनाव करनेका क्षेत्र मर्यादित रखना भी में एक अच्छाई मानता हूँ, वैसे ही जैसे अनेकके बजाय एक पत्नीकी मर्यादा रखना एक अच्छाई है। विषय-भोगमें मर्यादा बरतनेकी आवश्यकता और उसकी अच्छाई तो आप अवश्य स्वीकार करेंगे। पाप तब होता है जब में अपने सेवा या त्यागके क्षेत्रको मर्यादित करूँ। मेरे मन में अक्सर ऐसा खयाल आता है कि हिन्दू-धर्मं भले ही इस समय व्यवहारमें अधमताको प्राप्त हो गया हो, फिर भी हिन्दुत्वके सर्वांगपूर्ण सिद्धान्तोंकी भव्यता अभी-तक तुम्हारी समझमें अच्छी तरह नहीं आई है।

मेरी तबीयत ठीक कही जा सकती है, परन्तु में पूर्ण शान्ति, विश्राम तथा एकान्तकी तीव्र इच्छा अनुभव कर रहा हूँ। मैंने अभी-अभी सुना है कि टर्कीके साथ सुलहकी सारी शर्तोंपर फिरसे विचार होगा। ऐसा हो जाये तब तो थोड़े दिन कहीं चुपचाप शान्तिपूर्वक रह सकनेकी आशा कर सकता हूँ।

सर जॉर्ज बार्न्दने[१] मुझे भी ब्रिटिश गियाना आनेका आमन्त्रण दिया है। मैंने उन्हें सूचित कर दिया है कि जबतक खिलाफत आन्दोलन जारी है, तबतक में कहीं बाहर नहीं जा सकता। तुम जा रहे हो या नहीं?

साम्राज्यीय नागरिक संघ (इम्पीरियल सिटीजनशिप एसोसिएशन)[२] के नाम तुम्हारा पूर्वी आफ्रिका सम्बन्धी पत्र पढ़ा। साफ दिखाई देता है कि तुमने वह पत्र बहुत ही तनावकी स्थिति में लिखा है। उन्होंने उसकी कड़ी आलोचना की है। में मौन रहा, परन्तु इस आलोचनाके साथ मनमें सहानुभूतिका अनुभव किये बिना नहीं रह सका। तुम्हारा पत्र अधूर-सा था और उसमें जानकारी बहुत ही थोड़ी थी। दक्षिण आफ्रिका के मामलेमें तुमने अपनी रिपोर्ट अभीतक नहीं भेजी, इसकी भी वे बड़ी शिकायत कर रहे थे।[३] मेरा खयाल है कि तुम उनके प्रमाणित प्रतिनिधि बनकर वहाँ गये थे, इसलिए उन्हें पूरी रिपोर्ट देना तुम्हारा फर्ज था। कमसे-कम सौजन्यताके नाते तुम्हें सबसे पहले उन्हें लिखना चाहिए था। मैं चाहता हूँ कि अब भी तुम यह भूल भरसक सुधार लो।

[अंग्रेजीसे]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
  1. वाइसरायकी कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य (१९१६-२१)।
  2. गांधीजीने बम्बईमें ११ जून, १९२० को एसोसिएशनको बैठकमें भाग लिया था।
  3. एण्ड्र्यूज दिसम्बर १९१९ से मार्च १९२० तक आफ्रिकामें रहे थे।