पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/५७१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५३९
पुरानी पूंजी

तो भी प्रसंगवश उस यन्त्रका उपयोग पुरुष भी कर सकते हैं। आज तो अनेक पुरुष चरखे में सुधार करने का प्रयत्न कर रहे हैं। इसलिए उपर्युक्त सज्जन-जैसे अन्य व्यक्तियोंको में अवश्य ही चरखा चलानेकी सलाह दूंगा।

वकील, डाक्टर क्लबोंमें जाकर ताश खेलते हैं अथवा बिलियर्ड खेलते हैं; उससे वे अपने मनको ताजगी प्रदान कर पाते हैं, इसमें मुझे शक है। यदि वे घर जाकर स्वच्छ हवादार कमरेमें बैठकर चरखा चलायें तो मुझे दृढ़ विश्वास है कि उससे वे जितना निर्दोष आनन्द प्राप्त कर सकते हैं उतना उन्हें ताशसे नहीं मिल सकता । सर जॉन लबक' एक उपयोगी कामसे दूसरे काममें लग जानेको विश्राम मानते थे। चींटियोंकी प्रवृत्तिका अवलोकन करना उनके लिए मन बहलानेका साधन था। लॉर्ड सेलिसबरी- का मन रसायनके प्रयोग करके बहल जाता था । ग्लैडस्टन लकड़ियाँ काटकर कामन्स सभा [ के अपने काम ] का बोझा हल्का करते थे। ऐसे उपयोगी मन बहलावोंकी जितनी हमें आवश्यकता है उतनी अंग्रेजोंको नहीं है।

देशमें अनाज नहीं है, वस्त्र नहीं है और है भी तो बहुत मँहगे । दूध-घी तो बहुत लोगोंको छोड़ ही देना पड़ता है। ऐसे समय देशमें इन दो वस्तुओंका उत्पादन तथा संग्रह हमारा मुख्य धर्म है। दयाधर्मका समावेश तो इस बातमें है कि भूखोंका पेट भरने और वस्त्रहीनोंके अंग ढकनेपर ही हम खायें और पहनें। इसीसे उक्त मित्रके समान जितने भी व्यक्ति हैं मैं उन्हें नम्रतापूर्वक यह सलाह देता हूँ कि आप यदि अपने खाली समयमें खेती आदि करनेका शारीरिक श्रम न कर सकें तो चरखा लेकर सूत अवश्य ही कातें। उससे धर्म तथा अर्थ दोनोंकी उपलब्धि होगी।

नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते।

स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात् ॥

[ गुजराती से ]

नवजीवन, २०-६-१९२०


२३६. पुरानी पूँजी

समाचारपत्रों में रिक्त स्थान भरनेके लिए सम्पादक प्राय: कुछ-न-कुछ तैयार ही रखते ह । इसे अंग्रेजी में 'evergreen' अर्थात् 'सदा बहार' कहते हैं। जब प्रकाशित करना चाहें तभी इसे प्रकाशित किया जा सकता है। ऐसी ही एक चीज मुझे अनायास ही 'क्रॉनिकल' में दिखाई पड़ी। उसमें निम्नलिखित तथ्य दिये हुए है

'दशमलव पद्धतिका आविष्कार भारतीयोंने किया था भूमिति और बीज- गणितकी भी पहले पहल भारतमें खोज हुई थी और त्रिकोणमितिकी भी।

१. सर जॉन विलियम लबक (१८०३-१८६५); अंग्रेज खगोलवेत्ता और गणितज्ञ।

२. इसमें किये गये आरम्भका नाश नहीं होता, कोई उलटा नतीजा नहीं निकलता। इस धर्मका थोड़ा-सा पालन भी महाभयसे बचा लेता है । गीता, २-४० ।