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२३१. पत्र : खम्भाताको

बम्बई

१८ जून, १९२०

प्रिय श्री खम्भाता,

आपका कृपा पत्र मिला और उड़ीसा-संकट कोषके लिए सौ रुपये भी प्राप्त--इसके लिए आपको धन्यवाद। मैं आपकी इस इच्छाका कि आपका नाम न छापा जाये, पालन करूँगा।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ७५३३) की फोटो-नकलसे

२३२. पत्र : साकरलालको

लँबर्नम रोड

गामदेवी, बम्बई

शुक्रवार [१८ जून, १९२०]

भाईश्री साकरलाल,

अभी-अभी भाई ब्रजलालके विषयमें तार मिला। एक अकेले तुमने ही मणि- तुल्य भाई नहीं खोया है, हम सबने ही भाई समान अमूल्य साथीके खोया है। उनकी पवित्र आत्मा तो इस समय ऊँचे स्थानपर विराजमान है। पारमार्थिक जीवनका अर्थ भाई व्रजलालने [अपने उदाहरण द्वारा] अत्यन्त सुन्दर ढंगसे प्रदर्शित किया। आपको 'दुःख तो अवश्य ही होगा; लेकिन उनका जीवन सुन्दर था और आपके दुःखम हम सब समभागी हैं - ऐसा समझ आप अपने मनके बोझको हलका कीजिएगा।

मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्


गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ८४३) से।


१. व्रजलालकी मृत्युके उपरान्त आनेवाला शुक्रवार १८ जून, १९२० को पड़ता था।

२. व्रजलालकी मृत्युकी घटना के लिए देखिए “ स्मरणांजलि ", २६-६-१९२०।