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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

योग में कष्ट-सहन एक आवश्यक तत्त्व है; चाहे यह कष्ट मानसिक हो या शारीरिक। इस प्रकार कष्ट सहनके बिना स्वराज्य असम्भव है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, १६-६-१९२०

२३०. मद्रासमें हिन्दी

मुझे पक्का विश्वास है कि किसी दिन हमारे द्रविड़ भाई-बहन गम्भीर भावसे हिन्दीका अध्ययन करने लगेंगे। आज अंग्रेजी भाषापर अधिकार प्राप्त करनेके लिए वे जितनी मेहनत करते हैं, उसका आठवाँ हिस्सा भी हिन्दी सीखनमें करें, तो बाकी हिन्दुस्तान जो आज उनके लिए बन्द किताबकी तरह है, उससे वे परिचित होंगे और हमारे साथ उनका ऐसा तादात्म्य स्थापित हो जायेगा जैसा पहले कभी न था। मैं जानता हूँ कि इसपर कुछ लोग यह कहेंगे कि यह दलील तो दोनों ओर लागू होती है। द्रविड़ लोगोंकी संख्या कम है; इसलिए राष्ट्रीय शक्तिकी बचतकी दृष्टिसे, बजाय इसके कि द्रविड़-भारतसे समागमके लिए सारे द्रविड़ेतर भारतके लोग, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सीखें, द्रविड़ोंको ही शेष भारतकी आम भाषा सीखनी चाहिए। इसी हेतुसे पिछले अठारह महीनोंसे इलाहाबाद के हिन्दी साहित्य सम्मेलनकी देख-रेखमें मद्रास प्रान्तमें हिन्दी-प्रचारका काम जोरोंसे चल रहा है। पिछले हफ्ते बम्बईमें अग्रवाल मारवाड़ी सम्मेलन हुआ था । मेरी अपीलके जवाबमें इस सम्मेलनमें उपस्थित बम्बई और कलकत्तेके धनिक मारवाड़ियोंने वहींके-वहीं मद्रास प्रान्तमें पाँच सालतक हिन्दी- प्रचारका काम करनेके लिए ५०,००० रुपयेका चन्दा दे दिया। उन्होंने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि हिन्दीका कार्य भारतके इस रईस व्यापारी-वर्गकी विशेषता है । इस उदारता के कारण इलाहाबाद के सम्मेलनकी और उन द्रविड़ भाई-बहनोंकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है, जो मेरी ही तरह यह मानते हैं कि राष्ट्रीयताके सम्पूर्ण विकासके लिए मद्रासवालोंको हिन्दी सीख लेनी चाहिए। कोई भी द्रविड़ यह न सोचे कि हिन्दी सीखना जरा भी मुश्किल है। अगर रोजके मनोरंजनके समय में से नियमित ढंगसे थोड़ा समय निकालकर इस काममें लगाया जाये, तो कोई भी साधारण आदमी एक साल में हिन्दी सीख सकता है। मैं तो यह भी सुझाऊँगा कि अब बड़ी-बड़ी नगर- पालिकाएँ अपने-अपने स्कूलोंमें वैकल्पिक विषयके रूपमें हिन्दीकी पढ़ाई आरम्भ कर दें । मैं अपने अनुभवसे यह कह सकता हूँ कि द्रविड़ बालक बहुत आसानीसे हिन्दी सीख लेते हैं। यह बात शायद ही कोई जानता हो कि दक्षिण आफ्रिकामें रहनेवाले सभी तमिल-तेलुगु-भाषी लोग हिन्दीमें खूब अच्छी तरह बातचीत कर सकते हैं। इस- लिए में यह आशा करता हूँ कि मारवाड़ियोंकी उदारतासे मुफ्त हिन्दी सीखनेकी जो सहूलियत हो गई है, मद्रासके नौजवान उसकी कद्र करेंगे ।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, १६-६-१९२०