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कष्ट सहन अनिवार्य

अगर हम लोग वहीं मिलें तो . . . समयकी बहुत बचत हो। मेरे लिए तो कोई भी दिन ठीक रहेगा।

हृदयसे आपका

एन॰ सी॰ केलकर, पूना
रंगास्वामी आयंगर
'हिन्दू' कार्यालय', मद्रास
श्री आई॰ बी॰ सेन
मार्फत—श्री सी॰ आर॰ दास
कलकत्ता
अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७४२०) से।
 

२२९. कष्टसहन अनिवार्य

यातनाकी आग में तो बिना आजतक किसी भी राष्ट्रका उत्थान नहीं हो सका है। बच्चेकी रक्षा के लिए माता अनेक तरहकी यातनाएँ सहती है। अंकुर उगने के लिए सबसे पहले बीजको सड़ना पड़ता है। मरणमें से ही जीवनकी उत्पत्ति होती है। क्या भारत कष्ट सहन द्वारा शुद्धिकरणके इस प्राकृतिक नियमका पालन किये बिना गुलामी से अपना उद्धार कर सकेगा?

यदि मेरे सलाहकारोंकी धारणा सही हो, तब तो भारत बिना किसी कष्टसहनके ही अपनी अभिलाषा पूरी कर लेगा। उन लोगोंकी मुख्य चिन्ता यही है कि अप्रैल १९१९ की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। वे असहयोगसे इसलिए डरते हैं कि उसमें बहुत लोगोंको कष्ट सहन करना होगा। यदि हैम्डनने इस प्रकार सोचा होता तो उसने जहाजी बेड़ा कर (शिप मनी) देने से इनकार न किया होता, और न टेलरने ही विद्रोहका झण्डा खड़ा किया होता। इंग्लैंड और फ्रांसके इतिहास इस तरह के उदाहरणोंसे भरे हैं कि यातनाओं और अत्याचारोंकी परवाह न करके लोगोंने जो ठीक समझा, वे उसे करते रहे हैं। उन लोगोंने इस बातका क्षण-भरके लिए भी विचार नहीं किया कि कहीं उनके कारण निर्दोष लोगोंको अनचाहे ही कष्ट तो नहीं सहन करने होंगे। तो फिर हम अपना इतिहास दूसरी तरह लिखे जानेकी आशा क्यों करें? यह हो सकता है कि अगर हम अपने पूर्ववर्तियोंकी भूलों और त्रुटियोंसे लाभ उठाना चाहें तो उनसे लाभ उठाकर अच्छा कार्य करें, लेकिन यह असम्भव है कि कष्टसहनके नियमको ही बरतरफ कर दें, क्योंकि वह तो हमारे अस्तित्वका एक अपरिहार्य अंग है। अपने पूर्ववतियोंसे ज्यादा बेहतर काम करनेका तरीका यह है कि यदि हम कर सकें तो अपनी ओरसे हिंसाको बचायें और इस प्रकार प्रगतिकी रफ्तार तेज करें तथा कष्टसनके