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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्बन्ध में कोई राय देना स्थगित ही रखें। आशा है इस योजना के सम्बन्ध में अपने निर्णय घोषित करनेसे पूर्व भारत सरकार इसपर जनताके विचार अवश्य जान लेगी।

[अंग्रेजी से]

हिन्दू, १४-६-१९२०

२२८. पत्र: एन० सी० केलकर और अन्य लोगोंको'

[१५ जून, १९२० के आसपास ]

प्रिय श्री केलकर,

खेद है ... कि में कांग्रेस संविधान में शामिल नहीं हो सका। में अब आपको अपना मसविदा' भेज रहा हूँ। आप देखेंगे कि मेरा उद्देश्य इसे अधिक से अधिक सरल और प्रभावशाली बनानेका रहा है। साथ ही मैंने इस बातकी भी पूरी कोशिश की है कि एक ओर तो कांग्रेसमें सभी दलों और सभी प्रकारके विचारोंका प्रतिनिधित्व हो, लेकिन दूसरी ओर सबसे ऊँचा स्वर उस विचारका हो जो देशको सबसे अधिक ग्राह्य हो। आप यह भी देखेंगे कि इसके अन्तर्गत कांग्रेस प्रभाव अक्षुण्ण बना रहता है। इस मसविदेको आप विवेचनात्मक दृष्टिसे पढ़ जायें और जहाँ सहमत न हों, मुझे निस्संकोच बतायें । प्रदर्शनात्मक

जब मैंने खुद इतना समय ले लिया तो आपसे जल्दी करनेको कैसे कहूँ ! लेकिन मैं जानता हूँ कि आप इस ओर यथासम्भव जल्द से जल्द ध्यान देंगे। अगर कोई ... तब तो हमें मिलता ही होगा। आजकल में आमतौरपर बम्बईमें ही रहता हूँ, इसलिए


१. गांधीजीकी लिखावट में पेंसिलसे तैयार किया गया उपलब्ध मसविदा हो इस पत्रका साधन-सूत्र है, लेकिन वह कई स्थलोंपर कटा-फटा है, जिससे बहुत-से शब्द पदे नहीं जा सके।

२. दिसम्बर १९१९ के कांग्रेस अधिवेशनमें गांधीजीसे कांग्रेसके संविधान में सुधार करने को कहा गया था। संशोधित मसविदा कांग्रेसके सामने कलकत्ते में सितम्बर १९२० में पेश किया गया। केलकरको लिखे अपने २ जुलाई, १९२० के पत्रमें गांधीजीने केलकरके उस पत्रको प्राप्तिको सूचना दी है जिसमें उन्होंने गांधीजी के मसविदेकी आलोचना की थी। इसलिए यह पत्र, जिसके साथ केलकरको उक्त मसविदा भेजा गया था, उससे एकाष पखवारा पहले ही लिखा गया होगा। इसके अलावा जून महीने में गांधीजी अधिकांशतः बम्बई में ही रहे, जहाँ वे बराबर चाहते रहे कि केलकर उनसे सम्पर्क स्थापित करें । इसलिए लगता है यह पत्र १९२० के मध्य जूनके आसपास ही लिखा गया होगा।

३. यह उपलब्ध नहीं है।