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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जिसपर विश्वास हो वह व्यक्ति। इस परिचित व्यक्तिको अपने गाँवके लोगोंको तुरन्त हिसाब दे देना चाहिए।

धन उगाहनेकी विधि

धन उगाहनेवालेको किसीपर दबाव नहीं डालना चाहिए, सिर्फ पूरी जानकारी देनी चाहिए। यद्यपि हमारा उद्देश्य पैसा-पैसा उगाहकर धन इकट्ठा करना होना चाहिए तथापि सब यथाशक्ति दें--यही उचित है। अमीर और गरीब एक समान दें, ऐसा संसारमें आजतक नहीं हुआ और न होना ही चाहिए, यह तो स्पष्ट है। लेकिन उतना ही करके बैठ जाना उचित नहीं है। 'अधिकस्य अधिकं फलम्' के न्यायसे भी दें, यह हमारा कर्तव्य है। ऐसा करनेसे दूसरोंपर कम बोझ पड़ता है तथा कार्य भी शीघ्रतासे सधता है। अपना भाग देकर सन्तोष मान लेना कंजूसीका लक्षण है। प्रेमपूर्वक किये गये कार्यों में महान् उदारता निहित होती है। प्रेममें किसी कार्यको तराजूपर तोलनेकी गुंजाइश नहीं होती और जहाँ होती है वह प्रेम, प्रेम नहीं है। वह तो व्यापारिक वृत्ति है। यहाँ व्यापारिक वृत्तिके लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। यह रकम हिन्दू, मुसलमान, ईसाई और पारसी सब लोगोंसे उगाही जायेगी। मुझे उम्मीद है कि 'नवजीवन' के पाठक इस पवित्र कार्यमें अपना हिस्सा देंगे। उन्हें इस बातको ध्यानमें रखना चाहिए कि तुरन्त छ: लाखकी राशि एकत्रित करनी है।

समितिकी रिपोर्ट

वाइसराय महोदयको हंटर समितिकी[१] रिपोर्ट मार्चके पहले हफ्तेमें मिलेगी, यह समाचार हमने समाचारपत्रोंमें पढ़ा है। हमारी समितिकी[२] रिपोर्ट तुरन्त ही प्रकाशित होनी चाहिए,[३] गवाहियाँ प्रायः छप चुकी हैं। इस कार्यकी जिम्मेदारी श्री जयकरने[४] ली है। रिपोर्ट लगभग तैयार है। रिपोर्टकी जाँच करने और उसे पास करनेके लिए १९ तारीखको काशीमें समितिके सदस्योंकी[५] बैठक होनेवाली है और यह आशा की जाती है कि रिपोर्ट २० फरवरीको पास होकर छपने के लिए भेज दी जायेगी। रिपोर्टकी छपाईपर भारी खर्च आयेगा, तथा रिपोर्ट और गवाहियोंको मिलाकर एक प्रतिकी कीमत आठ रुपये होगी।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १५-२-१९२०
  1. यह समिति बम्बई, दिल्ली और पंजाब प्रान्तों में अप्रैल महीनेमें हुए उपद्रवोंकी जाँच करनेके लिए भारत सरकार द्वारा २४ अक्तूबर, १९१९ को नियुक्त की गई थी। समितिने सरकारको अपनी रिपोर्ट ८ मार्चको पेश की थी और यह २८ मई, १९२० को प्रकाशित की गई थी।
  2. पंजाबमें हुए उपद्रवोंकी जाँचके लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा नियुक्त उप-समिति।
  3. यह २५ मार्च, १९२० को प्रकाशित हुई थी। देखिए "पंजाबके उपद्रोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट", २५-३-१९२०।
  4. मुकुन्दराव रामराव जयकर (१८७३-१९५९); बम्बईके वकील और उदार दलीय नेता; पूना विश्वविद्यालयके उप-कुलपति।
  5. मो० क. गांधी, चित्तरंजन दास, अब्बास एस० तैषबजी।