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राजनैतिक बन्धुत्व

खेड़ा जिलेकी स्त्रियाँ खेड़ा जिलेकी आवश्यकताका कपड़ा बुन सकती हैं और वह भी केवल अपने फुरसतके समयमें। मुझे उम्मीद है कि उत्साही सज्जन चरखा तथा कातनेकी पूरी रुई इन स्त्रियोंको देंगे। कपड़ेके लिए प्रतिवर्ष हम प्रति व्यक्तिके हिसाबसे दो रुपये विदेशोंको भेज देते हैं। इस हिसाबसे यदि हम घरपर कपड़ा बुनें तो खेड़ा जिलेके सात लाख व्यक्तियोंके कपड़ेके लिए चौदह लाख रुपया बाहर जाना बन्द हो जायेगा तथा वह रुपया भी कुछ पैसेवालोंमें नहीं वरन् हमारे अनेक गरीब भाइयों में ही बँटेगा। इस तरह स्वदेशी आन्दोलन एक तरहकी बीमा कम्पनीका काम देता है। मैं एक बार फिर जोर देकर कहता हूँ कि स्वदेशी-आन्दोलनको आगे बढ़ाना हो तो नये खुलनेवाले भण्डारोंको यह बात खास तौरसे ध्यान में रखनी चाहिए कि उन्हें [अन्य बातोंमें] परस्पर स्पर्द्धा नहीं करती है, स्वदेशी कपड़ा बनानेपर ही खास ध्यान देना है । इस दृष्टि से घर-घर स्वयंसेवक भेजकर लोगोंको रुई दी जाये तथा उससे बने सूत और कपड़ेको नकद दामों खरीदा जाये। ईस्ट इंडिया कम्पनीने इसी ढंगसे हिन्दुस्तान [के बाजारों] में अपने कदम जमाये थे। हममें देशी उद्योगोंका प्रसार करनेके लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी- की अपेक्षा अधिक व्यवस्थापक-शक्ति, धैर्य और मितव्ययिता अर्थात् वणिक बुद्धिकी जरू- रत है। मुझे आशा है कि इस नये उपक्रमसे देशोदयके आधार, स्वदेशीकी विजय होगी।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, १३-६-१९२०


२२५. राजनैतिक बन्धुत्व'

फ्रीमैसनरी एक गुप्त ढंगकी संस्था है, जिसने मानवताके लिए की गई अपनी सेवाओंसे अधिक अपने गुप्त और कठोर नियमोंके चलते कुछ बहुत ही श्रेष्ठ बुद्धिवाले लोगोंको भी अपने वश कर रखा है। इसी प्रकार लगता है भारतके अफसर-वर्गको संचालित करनेवाली कोई गुप्त आचरण-संहिता है जिसके सामने महान् ब्रिटिश राष्ट्रके अच्छेसे-अच्छे व्यक्ति भी अपना माथा झुका देते हैं और अनजाने ही ऐसे भीषण अन्याय करनेके साधन बन जाते हैं जिसे अपने वैयक्तिक जीवनमें करना वे अपने लिए शर्मनाक मानेंगे। हंटर समितिकी बहुमत रिपोर्ट, भारत सरकारका खरीता और भारत मन्त्री द्वारा दिया गया इसका उत्तर पढ़कर यही धारणा बनती है । समितिके सदस्योंको लेकर कुछ समाचारपत्रोंमें जोरदार आपत्तियाँ की जानेके बावजूद, ऐसा कहा जा सकता था कि कुल मिलाकर जनता उसपर विश्वास करनेको तैयार थी, विशेषरूपसे इसलिए कि उसमें तीन भारतीय भी थे, जिन्हें काफी हदतक स्वतन्त्र रायका माना जा सकता

१. देखिए “ पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्ध में कांग्रेसकी रिपोर्ट”, २५-३-१९२०।

२. ३ मई, १९२० का खरोता, जिसमें इंटर समितिकी रिपोर्टका सार दिया हुआ है। देखिए परिशिष्ट ४।

३. २६ मई, १९२० को भेजा गया था। पाठके लिए देखिए परिशिष्ट।

४. पंडित जगतनारायण, सर चिमनलाल सीतलवाड और सरदार सुलतान अहमद खाँ।