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२२३. भाषण : स्वदेशीपर'

४ जून, १९२०

उद्घाटन समारोहमें श्री गांधोके साथ श्रीमती सरलादेवी चौधरानी भी थीं।उन्होंने खद्दरकी साड़ी और खद्दरका ब्लाउज पहन रखा था।

समारोहमें भाषण करते हुए श्री गांवोने डचेस ऑफ सदरलैंडका वृष्टान्त दिया।उन्होंने कहा कि डचेसने अथक परिश्रम करके घरमें काते और बुने गये स्कॉटलैंडी ट्वीडको लोकप्रिय बनाया, क्योंकि उससे स्कॉटलैंडकी सैकड़ों स्त्रियों को एक सम्मान-पूर्ण और लाभदायक धन्धा मिलता था। उन्होंने लोगोंको दिखाया कि स्कॉटलैंडवालों द्वारा तैयार किये गये खुरदरा और मोटा दिखनेवाले स्कॉटलैंडी ट्वीडमें जितनी कलात्मकता है, उतनी फैक्टरियोंमें तैयार किये गये ऊनी कपड़ोंमें नहीं है। श्री गांधीने कहा कि जबतक भारत हाथसे बने कपड़ोंकी कलात्मकताको भली भाँति पहचान नहीं लेता तबतक मुझे सन्तोष नहीं होगा। जब यह कपड़ा भी स्कॉटलैंडी ट्वीडकी तरह ही फैशनमें आ जायेगा तो लोग मिलोंमें तैयार किये गये कपड़ेसे इसकी अधिक कीमत देने लगेंगे। इस तरह आज मैं घरोंमें तैयार किये गये सूतकी जो कीमत दे रहा हूँ, उससे दूनी कीमत दे सकूँगा।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, ९-६-१९२०


२२४. भाषण : नडियादमें स्वदेशीपर

५ जून, १९२०

खेड़ा जिलेसे तो मैंने बड़ी-बड़ी आशाएँ बाँध रखी हैं। जिस भण्डारका में अभी- अभी उद्घाटन करनेवाला हूँ वह सिर्फ स्वदेशी कपड़ेका प्रचार करे, इतना ही काफी नहीं है। मुझे तो तभी सन्तोष होगा जब खेड़ा जिलेके सब गाँवोंमें तैयार होनेवाले कपड़ेको यह भण्डार अपने यहाँ रखे तथा स्वदेशी कपड़ेका केन्द्र बने। और यहाँके भण्डार- के लिए कपड़ा खरीदनेकी खातिर बम्बई क्यों जाना पड़ता है? मुझे विश्वास है कि

१. यह भाषण गांधीजीने बम्बईमें नारणदास पुरुषोत्तमदास व विठ्ठलदास जेराजाणी फर्मके खादी भण्डारका उद्घाटन करते समय दिया था।

२. एक प्रकारका मोटा ऊनी कपड़ा।

३. यह भाषण स्वदेशी भण्डारका उद्घाटन करते हुए दिया था। इस समारोहमें सरलादेवी चौधरानी तथा सो० राजगोपालाचारी उपस्थित थे।