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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लोग इसमें साथ नहीं देते तो मुझे इस बातका पता लग जायेगा कि इस समय जो आशाजनक स्थिति मौजूद है, उसका आधार किसी तरहकी आन्तरिक शक्ति या ज्ञान नहीं है, बल्कि अज्ञान और अन्धविश्वास है।

(८) यदि सच्चे हृदयसे असहयोगको स्वीकार कर लिया जायेगा तो अन्य सभी काम बन्द हो जायेंगे, यहाँतक कि उक्त सुधार भी। पर मैं इससे यह निष्कर्ष निकालनेको तैयार नहीं हूँ कि प्रगतिकी रफ्तार पिछड़ जायेगी। इसके विपरीत में असहयोगको इतना जोरदार और शुद्ध अस्त्र समझता हूँ कि यदि उसे सचाईके साथ प्रयुक्त किया गया तो यह वैसा ही होगा जैसे ईश्वर-प्राप्ति, और इसके बाद अन्य बातें अपने-आप ही हो जायेंगी। उस समय लोगोंको अपनी सच्ची शक्तिका ज्ञान होगा। उस समय उन्हें अनुशासन, आत्मसंयम, असहयोग, अहिंसा और संगठन आदि उन गुणोंका मूल्य ज्ञात हो जायेगा जिनके द्वारा प्रत्येक राष्ट्र महान् और उत्तम राष्ट्र हो सकता है, केवल महान् नहीं।

(९) मेरी समझमें मुझे कोई अधिकार नहीं है कि मैं अपनी अपेक्षा अपने मुस- लमान भाइयोंकी भावनाओंको कम शुद्ध मानूं। पर मैं यह अवश्य स्वीकार करता हूँ कि मेरे अहिंसाके सिद्धान्त में उनका पूरी हदतक विश्वास नहीं है । उनके विचारसे अहिंसा दुर्बलोंका अस्त्र है और सिर्फ सुविधाके लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है। वे मानते हैं कि यदि हम इस समय कोई सीधी कार्रवाई करना चाहें तो हमारे लिए केवल अहिंसात्मक असहयोगका ही रास्ता खुला है। मैं जानता हूँ कि मुसलमानोंमें कुछ लोग ऐसे हैं, जो यदि सफलतापूर्वक हिंसाका प्रयोग कर सकें तो वे आज ऐसा अवश्य करेंगे। पर उन्हें इस बातका पक्का विश्वास है कि यह असम्भव है। इसलिए असहयोग उनके लिए केवल कर्तव्य ही नहीं है, बल्कि बदला लेनेका साधन भी है। पर ब्रिटिश सर- कारके साथ मेरा असहयोग वैसा ही है जैसा मैं अपने घरके लोगोंके साथ कर चुका हूँ। ब्रिटिश संविधानके लिए मेरे मनमें बहुत आदर है। अंग्रेजोंके साथ मेरी कोई शत्रुता नहीं है, यही नहीं बल्कि अंग्रेजोंके चरित्रमें बहुत-सी ऐसी बातें हैं जिन्हें मैं अपने लिए अनुकरणीय मानता हूँ। कितने ही अंग्रेज मेरे घनिष्ठ मित्रोंमें से हैं। किसीको भी शत्रु समझना मेरे धर्मके विरुद्ध है। मुसलमानोंके बारेमें भी मेरे यही भाव हैं। मुझे उनकी मांगें न्यायपूर्ण और शुद्ध लगती हैं। इसलिए यद्यपि उनका दृष्टिकोण मुझसे भिन्न है, फिर भी मैं उनके साथ सहयोग करनेमें जरा भी नहीं सकुचाता और उनसे कहता हूँ कि वे मेरे तरीकेको एक बार आजमाकर देखें; क्योंकि मेरी दृढ़ धारणा है कि यदि साधन शुद्ध है तो किसी भ्रान्त उद्देश्यसे किया हुआ प्रयोग भी कल्याण ही करता है- -वैसे ही जैसे कोई आदमी इसलिए सच बोले कि उस समय ऐसा करना उसके लिए नीतिकी दृष्टिसे हितकर है तो भी उससे कल्याण ही होता है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २-६-१९२०