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पत्र: मंगलदास पारेखको

मजबूत है परन्तु फिलहाल में उनकी रिहाईके लिए नहीं कह रहा हूँ। मैं तो सिर्फ उन्हें पंजाबमें ही रखने की बात कह रहा हूँ और यदि वे बाहर भेज दिये गये हैं, तो किसी और कारणसे न सही, इन बेचारोंकी दुखिया स्त्रियोंकी अवस्थापर ही दया करके उन्हें पंजाब लौटा लाने के लिए कह रहा हूँ। जनताको ऐसा सोचनेका अवसर न दिया जाये कि मौजूदा सरकारके कार्य विचार और न्यायके उच्च सिद्धान्तोंकी प्रेरणासे नहीं, भय या उनकी उपयोगिता के कारण किये जाते हैं।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २६-५-१९२०

२१५. पत्र : मंगलदास पारेखको

२६ मई, १९२०

सुज्ञ भाईश्री मंगलदास,

कल हम किसी निर्णयपर' नहीं पहुँच सके, इसका मुझे दुःख है। मुझे तो पूरी- पूरी आशा थी। मैंने आपको बताया था कि अम्बालाल भाईके साथ तो मैंने परामर्श कर लिया है। उसका सार यह है कि जो मिलें उनका साथ देंगी उनके 'वार्प-पीससं ' को हर पखवाड़े [सप्ताह?] तेरह रुपये दिये जायेंगे और प्रति सप्ताह आठ आने बोनस। यह भाव ३४० से ३८० तकुवोंतक के लिए है। ३४० के अन्दर-अन्दरके तकुओंका भाव रु०१२-१२-० है तथा ३८० से ऊपर होनेपर रु० १३-४-० भाव होगा। 'वेफ्ट- पीसर्स' का रु० १३-८-० निश्चित हुआ है। 'डॉफर्स'का रु०९-४-० और बोनस चार आना है। आधे समयके लिए काम करनेवालेके लिए रु० ५-०-० निश्चित हुए है।

काम करनेका समय दस घंटे निश्चित हुआ है। उपर्युक्त दरें भी दस घंटेके हिसाब- से हैं और जबतक ७५ प्रतिशत मिलें नहीं आ मिलतीं तबतक दस घंटेकी बातपर अमल नहीं किया जायेगा। जमानतके तौरपर जो रकम जमा कराई जाती है वह दस दिनकी मजदूरीसे ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ये मुख्य-मुख्य बातें हैं। अब भी मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इन सिद्धान्तोंको स्वीकार करें और दूसरोंको स्वीकार करनेके लिए कहें। मैं मानता हूँ कि इतना बिल्कुल उचित है।

श्री मंगलदास गि० पारेख

अहमदाबाद

गुजराती प्रति (एस० एन० ७०४४) की फोटो-नकलसे।


१. मिल-मालिकों और मिल-मजदूरोंके बीच जो झगड़ा चल रहा था उसके समझौतेकी शर्तोंके बारे में।