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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नहीं किया जायेगा और श्री मॉण्टेग्युने कामन्स सभामें बताया है कि भारत सरकार- के विचारसे उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता। लेकिन इस मामलेको इतनी आसानीसे ताकपर नहीं रख दिया जा सकता। जनताको यह जाननेका अधिकार है कि ठीक- ठीक वे कौन-से कारण हैं जिनके आधारपर राज-घोषणाके बावजूद इन दोनों भाइयों- की स्वतन्त्रतापर रोक लगाई जा रही है, क्योंकि यह घोषणा तो जनताके लिए राजाकी ओरसे दिये गये ऐसे अधिकार-पत्रके समान है जो कानूनका जोर रखता है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २६-५-१९२०


२१४. एक दुःखद मामला

सर्वश्री रतनचन्द और बुग्गाके परिवारोंसे हमें निम्नलिखित तार मिला है:-

बुग्गा और रतनको अंडमान निर्वासनका हुक्म। बुग्गाको दस वर्षसे आँत उतरने और बवासीरकी बीमारी है। उनकी शल्य-चिकित्सा भी हो चुकी है।रतनकी अवस्था ४० वर्षसे अधिक है, इसलिए जेल मैनुएलकी धारा ७२१ के अनुसार उसे अंडमान नहीं भेजा जाना चाहिए।

पाठकोंको स्मरण होगा कि अन्य अभियुक्तोंके साथ इनकी अपील प्रीवी कौंसिलमें की गई थी जो प्राविधिक आधारपर खारिज कर दी गई है।' पण्डित मोतीलाल नेहरूने इनके मामलोंकी छानबीन की है और दिखाया है कि वे उन लोगोंसे अधिक अपराधी नहीं हैं जो रिहा कर दिये गये हैं। परन्तु कुछ अभियुक्त जिन्हें पहले फाँसीका दण्ड मिला था और जिनका वह दण्ड बादमें कैदकी सजामें बदल दिया गया था वे अब रिहा कर दिये गये हैं। क्या कारण है कि इन दो अभियुक्तोंको उनसे अलग किया गया है? क्या वह अपीलके कारण हुआ है? यदि उन्होंने अपील न की होती या ऐसा कहें कि किसी उदार वकीलने दया करके अनेक कठिनाइयोंके बावजूद उनके मुकदमेकी पैरवी न की होती तो उन्हें फाँसीपर चढ़ा ही दिया गया होता। पंजाबके छोटे लाट उदार-विवेकका परिचय देते हुए उन लोगों में से अनेकोंको रिहा कर रहे हैं जिन्हें विगत अप्रैल तथा जूनके बीचमें यातनाएँ भोगनी पड़ी थीं। प्रीवी कौंसिलमें अपील खारिज होने के बाद यदि वे चाहते तो सर्वश्री बुग्गा व रतनचन्दको फाँसीपर चढ़ा सकते थे फिर भी यह सच है कि बड़े लाटने फांसीका दण्ड घटाकर कालेपानीका दण्ड कर दिया है। परन्तु मेरा निवेदन है कि यदि सम्राट्- की घोषणाको पूर्णतः कार्यान्वित करना है तो सर्वश्री बुग्गा और रतनचन्द रिहाईके हकदार हैं। राज्यके लिए वे लोग लाला हरकिशनलाल, पं० रामभजदत्त चौधरी आदि लोगोंसे अधिक खतरनाक नहीं है। हालांकि रिहाईकी दृष्टिसे उनका मामला काफी

१. देखिए “अमृतसरकी अपीलें",३-३-१९२० ।