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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वे बरखास्त किये जायें या न किये जायें, जो लोग खिलाफत आन्दोलनका मागदशन कर रहे हैं उनका कर्त्तव्य स्पष्ट है। क्या वे कठिनसे-कठिन अग्नि-परीक्षाके लिए तैयार हैं? शान्तिकी यह संधि अवमानकारी और उद्धततापूर्ण है। इसलिए अगर इससे प्रभा- वित होनेवाले लोग किसी भी रूपमें इसका विरोध करेंगे तो इस संधिके पक्षधर इसका समर्थन भी उतनी ही उद्धतताके साथ शक्तिका प्रदर्शन करके करेंगे । और अगर भारतीय मुसलमानों तथा आम भारतीयोंको अपना रोष और क्रोध प्रकट करने से अधिक चिन्ता इस संधिकी शर्तों में संशोधन करवानेकी है तो वे, उनके साथ जो भी दुर्व्यवहार किया जाये, उसे स्वीकार करेंगे। लेकिन इस संधिको स्वीकार न करनेकी नीतिपर दृढ़ रहेंगे। सरकारकी हिंसात्मक कार्रवाइयोंके उत्तरमें जवाबी हिंसासे काम लेनेपर स्वयं खिलाफत आन्दोलन उस हिंसाका शिकार हो जायेगा, यह निश्चित है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २६-५-१९२•


२१२. खिलाफत: श्री कैंडलरकी खुली चिट्ठी

श्री कैंडलरने खिलाफतके इस बड़े प्रश्नपर मुझे एक खुली चिट्ठी लिखी है। पत्र प्रकाशित हो चुका है। में श्री कैंडलरकी स्थिति समझ सकता हूँ और उसी तरह मैं चाहूँगा कि वे और अन्य अंग्रेज भी मेरी तथा इस प्रश्नपर मेरे ही जैसे विचार रखनेवाले अन्य सैकड़ों हिन्दुओंकी स्थितिको समझें। श्री कैंडलरने अपने पत्रमें यह प्रमाणित करनेकी चेष्टा की है कि सन्धिकी शर्तोसे श्री लॉयड जॉर्जका वचन' किसी प्रकार भंग नहीं हुआ है। में उनसे इस बातमें सहमत हूँ कि श्री लॉयड जॉर्जके शब्दों- को उनके प्रसंगसे वियुक्त करके मुसलमानोंके दावेके समर्थनमें पेश करना ठीक नहीं है। श्री लॉयड जॉर्जके शब्द, जैसे कि वे वाइसरायके हालके सन्देश उद्धृत हुए हैं, इस प्रकार हैं:

हम लोग इसलिए युद्ध नहीं कर रहे हैं कि आस्ट्रिया-हंगरीको ध्वस्त कर दें अथवा तुर्कीसे उनकी राजधानी छोन लें या उन्हें एशिया माइनर तथा थ्रेसके उन प्रसिद्ध एवं समृद्ध प्रान्तोंसे वंचित कर वें जो तुर्क जातिकी प्रधानता वाले हैं।

उक्त उद्धरणमें "जो" शब्दका अर्थ श्री कैंडलर “यदि वे" करते मालूम होते हैं। पर में उस शब्दका स्वाभाविक अर्थ करता हूँ, यानी उससे यह अर्थ निकालता हूँ कि १९१८में प्रधान मन्त्रीने स्वीकार किया था कि एशिया माइनर और प्रेस प्रान्तमें

१. ५ जनवरी, १९१८ को दिया गया वचन।

२. १४ मई, १९२० का; देखिए परिशिष्ट २।

३. मूल अंग्रेजी उद्धरणमें 'जो' की जगह 'व्हिच' है।