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पागलपन

सहानुभूति पूरी तरहसे उनके साथ है और अफगान शिष्टमण्डल भी मुसलमानोंकी भावनासे पूर्णतः सहमत है। इसलिए उसे किसी भी अग्रणी भारतीयको इस स्थिति में देखकर भय लगता है कि वह अफगान शिष्टमण्डलके बारेमें कोई बात जान सके या कि उससे कोई जानकारी प्राप्त कर सके। अतः सरकारपर सन्देहका भूत सवार हो गया है।

लेकिन हमें इस पागलपनका जवाब पागलपनसे नहीं देना है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि सर हरकोर्ट' बटलरकी सरकार लोगोंको हिंसात्मक कार्रवाई करनेके लिए उत्तेजित करना चाहती है ताकि सर हरकोर्टकी सरकार यहाँ भी पंजाबकी भयंकरताकी पुनरावृत्ति कर सके और लोगोंको आतंकित करके उन्हें चुप हो जाने और झुक जानेके लिए मजबूर कर सके। खैर, यह सरकार ऐसा करना चाहती हो या न चाहती हो, खिलाफत आन्दोलनके नेताओंको जो-कुछ मसूरीमें हुआ उस ढंगकी और भी कार्र- वाइयोंके लिए तैयार रहना चाहिए। सफलता प्राप्त करनेका रास्ता क्रुद्ध हो जाना नहीं बल्कि दमनकी ऐसी कार्रवाइयोंका स्वागत करना है, ताकि जिनके खिलाफ ऐसी कार्रवाइयाँ की जाती हैं उनपर कोई असर न हो सकनके कारण सरकार यह सब उसी तरह बिलकुल बन्द कर दे जिस तरह किसी रोगीपर किसी खास दवाका असर न होते देखकर वह दवा देनेवाला चिकित्सक निश्चित रूपसे उसे बन्द कर देता है। अगर कड़ेसे-कड़े दण्डका भी वांछित प्रभाव नहीं होता तो उसे तुरन्त बन्द कर दिया जाता है।

लेकिन पागलपनका सबसे अधिक आघात पहुँचानेवाला उदाहरण तो सिंधसे प्राप्त हुआ है। कराचीसे सिंधीमें 'अलवहीद' नामक एक पत्र निकलता है जिसके मालिक एक बड़े ही जिम्मेदार किस्मके व्यापारी हैं। इस पत्रके इसी १३ तारीखके अंकमें जैकोबाबाद खिलाफत कमेटीके मन्त्रीकी एक चिट्ठी छपी है। इसमें यह बतानेके बाद कि खिलाफत आन्दोलनसे सम्बन्धित कुछ प्रतिष्ठित व्यक्ति जेल भेज दिये गये हैं, कहा गया है कि डिप्टी कमिश्नरने एक प्रतिष्ठित जमींदारको कमरेमें बन्द करके कोड़े लगाये और जब वह व्यक्ति चिल्लाया तो पुलिसन कमरेमें घुसकर उसे और कोड़े लगाये । मसूरीमें कमसे-कम कानूनकी मर्यादा, वह जैसी भी है, तो निभाई गई । श्री जवाहरलाल नेहरूकी देहपर किसीने हाथ नहीं लगाया। लेकिन अगर खिलाफत कमेटीके मन्त्रीका आरोप सही हो तो सिंधमें एक इज्जतदार आदमीको डिप्टी कमिश्नरने, जहां- तक जनताको मालूम है, बिना किसी उचित कारणके कोड़े लगाये । बम्बईके गवर्नर भारतके गवर्नरोंमें सबसे अधिक विवेकशील माने जाते हैं, इसलिए भरोसा किया जा सकता है कि वे इस घटनाकी तथा अन्य आरोपोंकी भी पूरी जाँच करवा कर उसके परिणाम प्रकाशित करेंगे। श्री शौकत अलीसे प्राप्त इस घटनाका विवरण छापकर 'बॉम्बे क्रॉनिकल' ने भी 'अलवहीद' की बातकी पुष्टि की है। जो तथ्य बताये गये हैं वे यदि सत्य हैं तो डिप्टी कमिश्नरको अवश्य ही बरखास्त कर देना चाहिए। लेकिन

१. संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) के लेफ्टिनेंट गवर्नर।

२. सर जॉर्ज लॉपड।

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