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भाषण: अहमदाबादमें

उनकी बात मानें। जैसा कि आपने मुझे बताया था कि मिलके मैनेजरने हाजिरी लेते समय आपसे कहा था कि आपको [हड़तालके दिनोंका भी] वेतन मिलेगा पर तो भी मेरी रायमें हम इस बारेमें आग्रह नहीं रख सकते।

मेरा यह कहना भी है कि अगरचे इस सम्बन्धमें भी हम न्याय किये जानेकी माँग कर सकते हैं, लेकिन इसका रास्ता हड़ताल नहीं है। कुछ-एक मजदूर अभी काम- पर नहीं गये हैं, यह बात उनको शोभा नहीं देती। हमारे बीच एक महत्त्वपूर्ण निर्णय हो चुका है कि हम कभी हड़ताल नहीं करेंगे। कोई विवाद हुआ तो पहले उसे संघके पास ले जायेंगे, वहाँ काम न बना तो फिर उसे पंचोंके सामने रखेंगे। मनमानी करके क्या अब हम कामपर न जानेकी बात कह सकते हैं?

जो अभी हड़तालपर हों उन्हें कलसे कामपर चले जाना चाहिए। आप अपने मामलेको मालिकोंके सम्मुख रखें, यदि आपको ऐसा लगे कि मालिकोंने आपके साथ अन्याय किया है तो आप पंच-फैसलेकी माँग करें लेकिन आप एक घंटे के लिए भी काम बन्द नहीं कर सकते। मुझे उम्मीद है कि आप इस सिद्धान्तका पालन करेंगे।

मालिक लोग तो हड़ताल नहीं कर सकते। अगर करनी ही पड़े तो हड़ताल मजदूरोंको ही करनी पड़ती है। इसलिए आपके साथ बेकार अन्याय न हो, आपसी सम्बन्ध मधुर बने रहें, इस बातको ध्यान में रखकर ही मिल-मालिकोंने भविष्य में भी पंच-फैसलेकी बातको स्वीकार किया है। लेकिन इस बातको यदि केवल वे लोग ही स्वीकार करें तो फिर मजदूरोंका इसमें क्या योगदान हुआ ? में करघा-विभागके मज- दूरोंसे अनुरोध करता हूँ कि आपकी जो माँगें हैं आप उन्हें विनयपूर्वक मिल-मालिकोंके सम्मुख रखें और कामपर जायें। यदि आप ऐसा करेंगे तो मालिकोंको लगेगा कि जब मजदूर लोग ऐसी भलमनसाहत दिखा रहे हैं तो हमें देना ही चाहिए। हम जोर-जबर- दस्तीसे काम नहीं ले सकते। जो लोग यह सोचते हैं कि दबाव डालकर वेतन लिया जा सकता है, वे भारी भूल करते हैं। मैं मालिकोंके समक्ष यह कहना चाहता हूँ कि यदि में मजदूरोंकी ओरसे अन्याय होता हुआ देखूंगा तो में मजदूरोंकी बिलकुल मदद नहीं करूंगा, आप लोगोंकी ही मदद करूंगा। मेरा अपना धर्म तो यह है कि जहाँ- जहाँ मुझे अन्याय नजर आये वहाँ-वहां उसका विरोध करूँ। यदि मजदूर मालिकोंके साथ अन्याय करेंगे तो जिस तरह में सरकारका विरोध कर सकता हूँ, मिल-मालिकोंका विरोध कर सकता हूँ, उसी तरह मजदूरोंका भी विरोध कर सकता हूँ। आज अगर में आपकी घूस स्वीकार करूँ. - आप मेरी प्रशंसा करते हैं, फूलमालाएँ चढ़ाते हैं, यह भी एक तरहकी घूस ही है- -और भ्रममें पड़कर गर्वसे फूल जाऊँ तो कल मैं सेठ मंगलदाससे भी घूस लेना सीख सकता हूँ। मेरा महत्त्व तभी तक है जबतक में न्याय दिलवा सकता हूँ। यदि आप अन्याय करेंगे तो मुझे आपका विरोध करके न्याय दिलवाना होगा। मैं इस संसारमें किसीका विरोधी नहीं हूँ। में न तो कभी मालिकोंका विरोध करूँगा और न मजदूरोंका। अलबत्ता इन दोनोंके बीच होनेवाले अन्यायका में अवश्य विरोध करूँगा। आपने परमात्माका नाम लेकर जो इस शुभ कार्यको आरम्भ किया है सो भी न्यायकी खातिर ही किया है।