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भाषण: अहमदाबादमें

कि कितनी ही मिलोंके मजदूर अभीतक कामपर नहीं गये हैं। जब मैंने यह बात सुनी तब मैंने लज्जाका अनुभव किया और सोचा कि इस सभाको क्या उद्देश्य रह जाता है? लेकिन अधिकांश मजदूरोंने कामपर जाना आरम्भ कर दिया है और इन्हीं मजदूरोंकी खातिर में आज यहाँ आया हूँ। जो कामपर जाने लगे हैं उन मजदूरोंसे में अनुरोध करता हूँ कि जो मजदूर कामपर नहीं गये हैं वे उन्हें कामपर जानेके लिए रजामन्द करें। लेकिन [इसके लिए] उन्हें किसीपर बलात्कार नहीं करना है, गाली-गलौज अथवा तू-तड़ाक नहीं करना है, लाठी नहीं चलानी है। सिर्फ आपको उनसे प्रार्थना करनी चाहिए, उनके पाँव पड़ना चाहिए, उनके सामने अपनी पगड़ी उतारनी चाहिए, उनसे देलील करनी चाहिए तथा कहना चाहिए कि यह आपका धर्म है। जो संघके सदस्य हों, ऐसे व्यक्ति यदि तोड़फोड़की कार्रवाई करें और मिलमें [ कामपर ] न जायें, तो उन्हें संघ में रहनेका कोई अधिकार नहीं है। इसलिए मेरा सब भाइयोंसे निवेदन है कि जो कामपर नहीं गये वे कलसे अवश्य काम जायें। उनके कामपर जानेसे ही यह भारी सभा सफल होगी।

मंगलदास सेठके समक्ष में मिल-मालिकोंसे कहता हूँ, प्रार्थना करता हूँ -- मजदूरोंके प्रतिनिधिके रूपमें में उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना ही कर सकता हूँ - कि आंप मज- दूरोंके साथ उदारतासे व्यवहार करें, उनपर स्नेह दृष्टि रखें। मैंने तो मजदूरोंकी ओरसे स्वीकार कर लिया कि मजदूर यदि अनुचित व्यवहार करें, आपका कोई अपराध करें तो आप इन्हें निकाल दें। उसमें में बीच में नहीं पड़ेगा। लेकिन आपसे मेरी इतनी प्रार्थना है कि आप व्यक्तियोंपर ममताकी दृष्टि रखेंगे, उनमें कोई तनिक बड़ा हो, नेताके समान हो तो उसे आप निकाल नहीं दगे। सेठ मंगलदासने मुझसे कहा है कि उन्हें मजदूरोंका एक भी पैसा नहीं चाहिए। मजदूरोंके पैसे लेकर हमें उनकी आह नहीं लेनी है। [हम तो] उन्हें धन देकर ही खुश होंगे, उनका धन लेकर नहीं। ऐसा उन्होंने मुझसे अनेक बार कहा है। मजदूरों और मालिकोंके बीच अब वेतनको लेकर कोई झगड़ा न होगा। उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि अगर मजदूर सिरपर चढ़कर किसी चीजकी माँग करें, तो वह कैसे दी जा सकती है? वे यदि भाईचारेकी भावनासे हमारे पास आयें तो उन्हें रुपया दिया जा सकता है। मैंने उत्तर दिया कि कोई यदि जोर-जबरदस्ती आपसे कुछ माँगने आये तो उसे अवश्य ही कुछ न दें। विनयशील होनेपर भी मज- दूर अपने अधिकारोंसे अधिककी मांग नहीं कर सकते एवं यदि मजदूरोंकी ओरसे विनय और न्यायसे काम लिया जाये तथा मालिकोंकी ओरसे उदारता और न्यायका बरताव किया जाये तो आपको पूज्य अनसूयाबेन, भाई शंकरलाल तथा मेरी भी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।

आज संघमें सब मिलोंके मालिक बैठकर अन्य विभागोंके दरोंकी जाँच कर रहे थे। सभी मिलोंके प्रतिनिधि उपस्थित थे। उन्होंने दरें निर्धारित करनेमें उदारतासे काम लिया है। मैं यह नहीं कहता कि ऐसा पंच नियुक्त किये जानेके फलस्वरूप हुआ है। उस हालतमें तो यही कहा जा सकता था कि सिर्फ न्याय ही मिला है। किन्तु

१. उनकी माँग थी कि सम्बन्धित मिल-मालिकको शर्तोंपर लिखित स्वीकृति देनी चाहिए।