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१९७. पत्र : देवदास गांधीको

[बम्बई]

जेठ सुदी २ [२० मई,१९२०]

चि० देवदास,

तुम्हारे पत्र अब नियमपूर्वक आते रहते हैं। मैं वहाँ आनेवाला हूँ इसलिए तुम अल्मोड़ा जाओ, यह कहने में हिचकिचाता हूँ, तथापि जाना हो तो जाना। रुकनेकी इच्छा हो तो में जब वहां आऊँगा तभी हम [दोनों बैठकर] कार्यक्रम बनायेंगे।

आज खिलाफतके सम्बन्धमें में एक दिनके लिए यहां आया हूँ। इस बारेमें तुम्हें 'यंग इंडिया' और 'नवजीवन' में सबकुछ पढ़ने को मिलेगा।

जहाँतक मेरे स्वास्थ्यका प्रश्न है, म दुर्बलताके सिवाय कुछ और महसूस नहीं करता। कमजोरी इतनी है कि मुझसे तनिक भी नहीं चला जाता । टाँगोंसे ताकत चली गई है। कारण समझमें नहीं आता। अपने पढ़ने-लिखने आदिका कार्य ठीक-ठीक कर पाता हूँ।

सिंहगढ़ में मेरे साथ प्रभुदास, बालकृष्ण, डाक्टर, महादेव और रेवाशंकर भाई रहे। कुमारी फैरिंग कल रवाना हो गई।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ७१७५) की फोटो-नकलसे।

१९८. पत्र : मगनलाल गांधोको

बम्बई

बृहस्पतिवार [२० मई, १९२०]

चि० मगनलाल,

आज एक दिनके लिए यहाँ आया हूँ। तुम्हारे जाने के बादसे ही मैंने सवेरे और साँझका प्रार्थनांका समय खूब बातचीत में बिताया है। हम दोनोंके बीच हुई बातोंकी

१. कुमारी एस्थर फैरिंग १९ मई, १९२० को डेनमार्कके लिए रवाना हुई थीं और थइ पत्र जैसा कि मजमूनसे पता चलता है, दूसरे दिन लिखा गया था।

२. गांधीजी मईके अन्तमें बनारस पहुँचने वाले थे।

३. नम्बई; देखिए अगला शीर्षक।

४. स्पष्टतः यह पत्र उसी दिन लिखा गया, जिस दिन कि देवदास गांधीको लिखा (पिछला शीर्षक) पत्र। जैसा कि पत्रकी अन्तिम पंक्तिमें लिखा है गांधीजी २६ मई, १९२० को बनारसके लिये रवाना होनेवाले थे।