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अहमदाबादके मिल-मालिक और मजदूर

सामने रख। यही बात आज मिल-मालिकों और मजदूरोंके झगड़के सम्बन्धमें भी लागू होती है।

अहमदाबादमें पचाससे भी ऊपर मिलें हैं। उनमें कुछ नहीं तो पचास हजार व्यक्ति काम करते होंगे। इनके कताई विभागोंमें कताईकी मशीनोंपर काम करनेवाले मजदूरोंने मालिकोंसे ३० रुपया प्रतिमाह वेतन तथा काम करने के बारह घंटेके बदले दस घंटे किये जानेकी मांग की।

उक्त माँगें उन्होंने बहुत सोच-समझकर रखी हैं; अन्य माँगें भी हैं लेकिन उनको लेकर कोई भेद नहीं है; उदाहरणस्वरूप अगर कहीं स्वच्छ जलकी व्यवस्था न हो तो वह वहाँ की जाये, दोपहरम भोजन करने के लिए किसी मकानका प्रबन्ध हो और अभी शौचालय अत्यन्त मलिन रहते हैं उनके साफ किये जानेकी भी उचित व्यवस्था हो। ये सब बन्दोबस्त तो होने ही चाहिए। ऐसी माँगें करनी पड़ें, यह हमारे लिए शर्मकी बात है।

लेकिन जिनके सम्बन्ध में गम्भीर वाद-विवाद उठ खड़ा हुआ है वे तो सिर्फ वेतन बढ़ाने और कामके घंटे घटानेकी माँगें हैं।

मालिकों और मजदूरोंके प्रतिनिधियों के बीच सलाह-मशविरा हुआ। उसमें दोनोंका उद्देश्य हड़तालको रोकना था। हड़ताल दो प्रकारसे ही रुक सकती है। मजदूर मूढ़ बनं रहकर अपने हकोंको न समझें अथवा ज्ञान होनेपर भी अपने-अपने हकोंको दर- गुजर कर दें अथवा जब दोनों पक्षोंमें मतभेद हो तब दोनों परस्पर किसी तीसरेके पास जाकर अपना न्याय करवाएँ। दूसरी बात भी हो सकती है। जब मजदूरोंमें एक होकर काम करनेकी शक्ति आ जाये। जिस तरह मालिकोंके लिए एक आवाज में बोलने तथा एक होकर काम करनेके लिए संघ आदि साधनोंकी जरूरत है वैसे ही मजदूरोंके लिए भी संघ आदि होने चाहिए। इस उद्देश्य से श्रमिक संघकी स्थापना किये जानेकी दिशा में कार्य शुरू हुआ और कताई मशीनोंके (थ्रॉसल) विभागके मजदूरोंने भी संघ बनाने शुरू किये ।' कुछ संघ स्थापित भी हो गये हैं। यदि ये संघ विधिपूर्वक काम कर सकें, एक होकर, एक रायसे काम कर सकें तो उनकी शक्ति काफी बढ़ जाये एवं वे संघ द्वारा लिये गये निर्णयोंके अनुसार, चाहे वे उनके अनुकूल जान पड़ते हों अथवा नहीं, कार्य करना सीख जायें । संघोंकी स्थापना करनेसे मजदूरोंकी शक्ति बढ़ेगी और इस शक्तिका दुरुपयोग होनेका खतरा भी है। संघोंसे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि उसके सदस्य संयमित होकर नियमोंका पालन करना सीख जायेंगे। संघोंके बन जानेपर ही पंच नियुक्त किये जा सकते हैं, उनके द्वारा निर्णय प्राप्त किये जा सकते हैं और इस तत्वके जड़ पकड़ लेतेपर ही हड़ताले बन्द हो सकेंगी।

अब जिस समय मजदूरोंने उपर्युक्त माँगें कीं तब कुछ-एक मालिकोंने तुरन्त पंचकी मार्फत न्याय प्राप्त करनेकी इच्छा प्रकट की। इसमें श्री अम्वालालने प्रमुख भाग लिया। उन्हें लगा कि यदि पंचके द्वारा निर्णय किया जाये तो हड़ताल रुक

१. देखिए “भाषण: अहमदाबादके मिल-मजदूरोंकी सभा, २५-२-१९२०।