पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/४८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


यूरोपकी ओर देखो। वहाँ कोई भी सुखी दिखाई नहीं देता, क्योंकि किसीको सन्तोष ही नहीं है। मजदूरोंको मालिकोंपर और मालिकोंको मजदूरोंपर विश्वास नहीं है। दोनोंमें एक तरहकी शक्ति है लेकिन वह तो भैसोंमें भी होती है। वे मरते दमतक लड़ते ही रहते हैं। हर तरहकी गति, प्रगति नहीं होती, यूरोपकी जनता आगे बढ़ती जाती है, ऐसा माननेका कोई कारण नहीं है। उसके पास धन है, इसका यह मतलब नहीं कि नीति और धर्म भी है। दुर्योधनके पास बहुत धन था, लेकिन वह विदुर और सुदामाकी अपेक्षा गरीब था। विदुर और सुदामाकी आज विश्व पूजा करता है। दुर्योधनका नाम हम उसके दुर्गुणोंका त्याग करनेकी खातिर ही लेते हैं।

तब हमें क्या करना चाहिए? बम्बईमें मजदूरोंने बहुत बल दिखाया।[१] मुझे सारे तथ्योंको जाननेका अवसर नहीं मिला। लेकिन मैं यह तो देख सका कि वे [उससे भी] अधिक अच्छे ढंगसे लड़ सकते थे। हो सकता है, सारा दोष मालिकोंका रहा हो। सामान्यतया कहा जा सकता है कि मालिक-मजदूरोंके झगड़े में अकसर मालिकोंका अन्याय ज्यादा होता है। लेकिन जब मजदूरोंको अपने बलका पूरा भान हो जायेगा तब--मैं समझ सकता हूँ, बल्कि देख सकता हूँ--वे मालिकोंसे भी अधिक अन्याय कर सकेंगे। मजदूरोंमें यदि मालिकोंके जितना ज्ञान आ जाये तो मालिकोंको मजदूरोंकी शर्तोके अनुसार ही काम करना पड़े। यह बात तो स्पष्ट है कि मजदूरोंमें ऐसा ज्ञान कभी भी नहीं आ सकता। वैसा होगा, तब मजदूर, मजदूर रहेंगे ही नहीं--मालिक ही हो जायेंगे। मालिक केवल पैसेके बलपर ही नहीं जूझते उनमें अक्ल, चतुराई आदि भी रहते ही है।

इसलिए हमारे सम्मुख यह सवाल है कि मजदूरोंको--वे जैसे है वैसे रहते हुए भी, उनमें कुछ विशेष जागरण आनेके बावजूद--किस तरह व्यवहार करना चाहिए। मजदूर अपनी संख्या अथवा अपने बाहुबलपर अर्थात् हिंसापर आधार रखेंगे तो वे आत्महत्या करेंगे और देशके उद्योगको नुकसान पहुँचायेंगे। यदि वे केवल न्यायपर दृढ़ रहकर, न्याय प्राप्त करनेके लिए दुःख सहन करेंगे तो वे हमेशा विजय प्राप्त करेंगे, इतना ही नहीं बल्कि मालिकोंको सुधारेंगे, उद्योगोंमें वृद्धि करेंगे और मालिक तथा मजदूर दोनों एक परिवारके सदस्योंकी तरह रहेंगे। मजदूरोंकी स्थितिपर विचार करते समय निम्नलिखित बातोंको अवश्य ध्यानमें रखना चाहिए

१. कामके घंटे इतने ही होने चाहिए जिससे मजदूर लोगोंके पास आरामका समय बच रहे।

२. वे शिक्षा प्राप्त कर सकें, ऐसे साधन होने चाहिए।

३. उनके बच्चोंको जितना आवश्यक है उतना दूध, कपड़ा और पर्याप्त शिक्षा मिलने के साधन प्राप्त होने चाहिए।

४. मजदूरोंके रहने के घर स्वच्छ होने चाहिए।

५. ऐसी स्थिति होनी चाहिए कि बूढ़े होनेतक वे इतना बचा सकें जिससे बुढ़ापेमें उनका निर्वाह हो सके।

  1. २० जनवरी, १९२० को बम्बई में मिल-मजदूरोंने हड़ताल की थी।