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१७७. खिलाफत

जैसा मैंने अपने पिछले पत्रमें लिखा था, मेरा खयाल है कि श्री गांधीने खिलाफत के मामले में गम्भीर भूल की है। भारतके मुसलमान इस कथनके आधारपर अपनी माँग करते हैं कि उनके धर्ममें अरब देशपर तुर्कीके शासनका विधान है। किन्तु जब स्वयं अरब इस मामलेमें उनके विरोधी हैं, तब भारतीय मुसलमानोंके इस सिद्धान्तको इस्लामके लिए अनिवार्य मानना असम्भव है। यदि अरब इस्लामका प्रतिनिधित्व नहीं करते तो आखिर कौन करता है ? यह तो ऐसी ही बात हुई जैसे जर्मनीके रोमन कैथॉलिक लोग रोमसे रोमन कैथॉलिकोंके नामपर कोई माँग करें और इटलीके लोग उसकी विरोधी माँग करें। किन्तु यदि यह मान भी लें कि भारतीय मुसलमानोंके धर्ममें अरबोंपर उनको इच्छाके विरुद्ध तुर्कीका शासन लादनेका विधान है तो आजके जमानेमें कोई भी ऐसी मांगको, जिसमें एक देशके लोगोंका अत्याचार दूसरे देशके लोगोंपर जारी रखना जरूरी हो, वस्तुतः धार्मिक मांग नहीं मान सकता। भारतीय मुसलमानोंको जब लड़ाईके आरम्भमें यह आश्वासन दिया गया था कि उनके धर्मकी रक्षा की जायेगी तो उसका अर्थ यह कदापि नहीं हो सकता था कि ऐसे सांसारिक प्रभुत्वको कायम रखा जायेगा जिससे आत्मनिर्णयके सिद्धान्तोंका भंग होता हो । अब हम अरबोंपर तुर्कीकी पुनविजयको खड़े-खड़े देखते नहीं रह सकते (क्योंकि अरब निश्चय ही उनसे लड़ेंगे ) ; हमारा ऐसा करना अरबोंको, जिन्हें हमने वचन दिये हैं, स्पष्ट धोखा देना होगा। यह बात सत्य नहीं है कि अरब केवल यूरोपीयोंके कहनेसे तुर्कोंके प्रति वैरभाव दिखा रहे हैं। निस्सन्देह युद्धमें हमने तुर्कीके प्रति अरबोंके वैरभावका उपयोग एक और साथी प्राप्त करनेके लिए किया था, किन्तु यह वैरभाव तो लड़ाईके पहलेसे मौजूद था। सुलतानके गैर-तुर्क मुसलमान प्रजाजन प्रायः उनके शासनसे मुक्त होना चाहते थे । भारतीय मुसलमान ही उस शासनको, जिसका उन्हें कोई अनुभव नहीं है, दूसरोंपर लादना चाहते हैं। असलमें सीरिया या अरबमें तुर्कीका राज्य फिर स्थापित करनेकी कल्पना सब सम्भावनाओंसे इतनी दूर जान पड़ती है कि उसपर विचार करना पवित्र रोमन साम्राज्यके पुनःसंस्थापन-जैसा प्रतीत होता है। मैं कल्पना नहीं कर सकता कि कौनसे घटनाक्रमसे यह परिणाम आ सकता है, निश्चय ही भारतीय मुसलमान स्वयं अरबपर चढ़ाई करके अरबोंको जीत नहीं सकते और उनपर सुलतानका शासन कायम नहीं कर सकते। और भारतमें चाहे जितना आन्दोलन और उपद्रव किया जाये उससे इंग्लैंड कभी भी अरबमें तुर्कीका शासन फिर कायम नहीं करेगा। इस