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उड़ीसा में संकट

यदि आपको वह उचित जान पड़े तो मेरी और समस्त विश्वको सलाहको ताक पर रख देना। [इसके लिए] मुझे आप माफ तो करेंगे न?

मोहनदासके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (जी० एन० १२२३) की फोटो-नकलसे।

१७५. उड़ीसामें संकट

उड़ीसाके इस गौरवके बावजूद कि वहाँ हमारा एक महान् तीर्थं जगन्नाथ पुरी है, वह एक बहुत ही दीन-हीन प्रदेश जान पड़ता है। क्योंकि जिस समय भारत राष्ट्रीय जीवनकी चेतनासे अनुप्राणित हो रहा है उस समय भी हमें उड़ीसाके सम्बन्धमें बहुत कम बातें मालूम हैं। हम में से अधिकांशने उसका नाम भूगोलमें ही पढ़ा है। चूँकि उड़ीसा आधुनिक शिक्षाका केन्द्र नहीं रहा इसलिए वहाँ आधुनिक ढंगके कार्यकर्त्ता तैयार नहीं हुए हैं और इसलिए कोई भी यह नहीं जानता कि उड़ीसाके लोग सुखी हैं या दुःखी। पिछले कई महीनोंसे मेरे एक उड़िया मित्र उड़ीसाकी समस्याओंमें मेरी रुचि जागृत करनेका प्रयत्न कर रहे हैं। वे पिछले कुछ महीनोंसे मुझसे यह कहते रहे हैं कि उस प्रान्तमें लगभग अकालकी स्थिति है। उन्होंने बताया है कि एक छोटेसे गाँवमें, जिसमें ५९ परिवार या स्त्री और पुरुष कुल मिलाकर ४११ लोग रहते हैं, अभी हालमें ११ दुधमुँहे बच्चे पोषणकी कमीके कारण सर चुके हैं। वहाँ कुल मिलाकर भूखसे ५८ मौतें हुई हैं, ६१ गाँव छोड़कर चले गये हैं और जो रह गये हैं उनमें केवल चाम और हाड़ बाकी रह गये हैं। उनके पास न तो अन्न है और न कपड़ा। तन ढकने लायक काफी कपड़ा न होनेसे स्त्रियाँ घरोंसे नहीं निकल सकतीं, और कुछ तो घास और पत्तियाँ खा रही हैं। मैं इस भयंकर कहानीपर विश्वास करनेके लिए तैयार न था। मुझे लगा कि सार्व- जनिक अपील करनेसे पहले मेरे पास लोगोंके सामने रखने के लिए कुछ प्रामाणिक जान- कारी होनी चाहिए। इसलिए मैंने भारत सेवक समाज (सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसायटी) से श्री अमृतलाल ठक्करकी सेवाएँ देनेकी प्रार्थना की। इस काममें उनकी योग्यतापर सन्देह नहीं किया जा सकता क्योंकि इस प्रकारकी जाँचके कामोंमें उन्होंने वर्षों से योग्यता प्राप्त कर रखी है। मेरी यह प्रार्थना तत्काल स्वीकार कर ली गई और उड़ीसाके पुरी जिले में एक सप्ताहतक रहनेके बाद उन्होंने जो कुछ बताया है उसका सार यह है:

मैं पिछले ८ दिनोंसे गाँवों में यात्रा कर रहा हूँ। उड़ीसामें निश्चय ही अकालकी स्थिति है। जब में जमशेदपुरमें था तब मेरा खयाल था कि उड़ीसा भारतका एक अन्न भण्डार है, क्योंकि बालासोरसे बहुत चावल आता था । किन्तु शोक! आज में देखता हूँ कि अकाल-पीड़ित जिलेके लोगोंको कलकत्ता, सम्बलपुर आदि जगहोंसे चावल मँगाना पड़ता है। इस प्रदेशके लोग अकाल और बाढ़ दोनोंकी मारसे पीड़ित हैं। कहा जाता है कि पिछले ६ महीनोंमें १,५०० से अधिक लोग भूखसे मर गये होंगे। मैं लगभग १९ गाँवोंमें घूम चुका हूँ। इनमें से ६ गाँवोंके