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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसके अतिरिक्त यह भी याद रखना चाहिए कि इस संघर्ष में अभी हमने कानून- की सविनय अवज्ञा किये जानेके तत्त्वको शामिल नहीं किया है। जहाँतक मैं समझ सका हूँ असहकारके साथ सविनय अवज्ञा नहीं चल सकती । अतएव सरकार चाहे जो कानून बनाये, चाहे जो अध्यादेश जारी करे उसे पूरी-पूरी मान्यता प्रदान की जानी चाहिए। इस आन्दोलनमें यदि एक भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार कार्य करेगा तो उससे संघर्षको बहुत धक्का पहुँचेगा।

इस संघर्ष में लड़नेवालों और सेना [में भरती होनेवाले व्यक्तियों] में कोई भेद नहीं । सेनामें जैसे प्रत्येक सिपाही अपनी जिम्मेदारीपर काम नहीं कर सकता बल्कि उसे अपनेसे उच्च अधिकारीके आदेशकी राह देखनी पड़ती है, ठीक यही खिलाफत अथवा अन्य सब तरहके संघर्षों के बारेमें समझना चाहिए । सेनामें भरती सिपाहीको जैसे मर्यादा बनाये रखना, आदेशका पालन करना, क्रोधित न होना आदि सब बातोंका पालन करना पड़ता है, वैसे ही खिलाफत-जैसे आन्दोलनमें काम करनेवाले लोगोंको करना चाहिए । जनतापर यदि पूरा अधिकार प्राप्त किया जा सके तो आज ही [ हमारी ] जीत है। यह अधिकार प्राप्त करनेके लिए उपर्युक्त तत्त्वोंकी बहुत आवश्यकता है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि एक भी व्यक्ति अपनी जिम्मेदारीपर कोई जोखिमका काम न करेगा।

अभी तो हमने असहकार [ आन्दोलन ] भी प्रारम्भ नहीं किया है। अभी अन्तिम शर्तें तय नहीं हुई हैं। भाई मुहम्मद अलीका नवीनतम तार आशाजनक है। आशा हो या न हो, लेकिन जबतक शर्तें स्पष्ट रूप से प्रकाशित नहीं कर दी जातीं और खिलाफत समितिकी ओरसे निर्देश जारी नहीं हो जाते तबतक किसीको त्यागपत्र नहीं देना है। इस समय जनताको मुख्यरूपसे यही याद रखना है कि भूलसे भी जनताकी ओरसे कोई खून-खराबी न होने पाये।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, ९-५-१९२०


१६७. सीमापर अपहरण

हिन्दुस्तानकी दक्षिण-पश्चिम सीमापर कुछ जंगली जातियाँ रहती हैं। वे मुसलमान हैं तथा लूटमार और व्यक्तियोंका अपहरण करके अपना भरण-पोषण करती हैं। अभी हाल ही में उन्होंने एक अंग्रेज लड़कीको पकड़ लिया था और निष्कृति-धन प्राप्त

१. मित्रराष्ट्रों द्वारा टर्कीके सम्बन्ध में।

२. (१८७१-१९३१); वक्ता, पत्रकार और राजनीतिज्ञ; १९२० में इंग्लैंडको जो खिलाफत-शिष्ट- मण्डल गया था उसका नेतृत्व किया; कांग्रेस अध्यक्ष, १९२३।

३. ये शर्त भारत सरकारके (असाधारण) गज़टमें १४ मई, १९२० को प्रकाशित हुई थीं।

४. १९१९-२० के दौरान पेशावर, कोहाट, बन्नू और डेरा इस्माइलखा जिलोंम कमसे कम ६११ छापे मारे गये थे। इनमें २९८ व्यक्ति मारे गये, ३९२. घायल हुए और ब्रिटिश रैयतके ४९३ व्यक्तियोंका अपहरण किया गया। इण्डिया इन १९२०।