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१४. पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

२, मुजंग रोड

लाहौर

५ फरवरी, १९२०

प्रिय श्री शास्त्री,

आपका पत्र मिला। उत्तर एक-दो दिनमें देने की आशा करता हूँ। इस बीचमें इस पत्रके साथ एक लेखका उद्धरण भेज रहा हूँ जो मुझे श्री पोलकसे प्राप्त हुआ है। यों भी प्रवासकी किसी योजानपर, चाहे वह कागजपर कितनी ही अच्छी क्यों न हो, विचार करना कठिन है लेकिन इस उद्धरणको देखकर तो वह और भी कठिन लगता है। फिर भी, एक ऐसी योजनाका मसविदा लिखनेका प्रयास कर रहा हूँ जो प्रवास-सम्बन्धी किसी योजनापर विचार करनेको राजी होनेवालोंके लिए एक न्यूनतम योजनाका काम देगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७३९३) से।

१५. तार: चित्तरंजन दासको[१]

लाहौर

[५ फरवरी, १९२० या उसके बाद][२]

यहाँसे निकल पाना असम्भव। २० से पहले काम[३] समाप्त कर देना है।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७१०४) की फोटो-नकलसे।

  1. चित्तरंजन दास (१८७०-१९२५); प्रसिद्ध वकील और कांग्रेसी नेता, वक्ता और लेखक; १९२१ में कांग्रेसके अध्यक्ष निर्वाचित।
  2. यह तार ५ फरवरी, १९२० के एक तारके जवाब में भेजा गया था, जिसमें गांधीजीको, सम्भवत: फरवरीके अन्तिम सप्ताहमें मौलाना आजादके सभापतित्वमें होनेवाले बंगाल प्रान्तीय खिलाफत सम्मेलनमें शामिल होनेके लिए बुलाया गया था। गांधीजीने चित्तरंजन दासके तारका उत्तर उसी तारकी उलटी तरफ लिख दिया था। प्रत्यक्ष है कि यह उत्तर ५ फरवरीको या उसके बाद ही लिखा गया होगा।
  3. पंजावके उपद्रवोंकी जाँचसे सम्बन्धित काम; क्योंकि रिपोर्ट के मसविदेको अन्तिम रूप देनेके लिए २० फरवरी, १९२० को कांग्रेसकी पंजाब उप-समिति द्वारा नियुक्त किये गये आयुक्तोंकी बैठक यनारसमें होनेवाली थी।

१७-२