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में होमरूललीग में क्यों शामिल हुआ हूँ?

[इसलिए] मुझे होमरूल लीगमें शामिल होनेका लोभ हुआ। परामर्शके विचारसे मैंने बम्बई से बाहरके मित्रोंको पत्र लिखे। मैंने उन्हें बताया कि होमरूल लीग में मेरा सम्मिलित होना अपने विचारों और पद्धतिको अमल में लानेके विचारसे ही सम्भव हो सकता है। मित्रों में से अधिकांशको मेरे विचार पसन्द आये और उन्होंने होमरूल लीगमें सम्मिलित होनेके मेरे निश्चयपर सहमति प्रकट की। अन्य अनेक मित्रोंने मेरे विचारोंको पसन्द तो किया लेकिन यह आशंका प्रकट की कि होमरूल लीग में सम्मिलित होनेपर भी मैं अपनी स्वतन्त्रता और तटस्थताको खो बैठूंगा। इसका मेरे ऊपर भी काफी असर हुआ, तथापि मैंने सोचा कि यदि मेरे विचारोंसे अवगत होनेके बावजूद मुझे लीगमें शामिल कर लिया गया तो मैं अपनी स्वतन्त्रताको बनाए रख सकूँगा। मैंने यह भी महसूस किया कि इसके द्वारा मुझे अपने विचारोंका विशेष प्रचार करनेका एक साधन मिल सकता है और इस लोभसे मैं लीगमें शामिल हो गया हूँ।

मुझे लगता है कि जल्दीसे-जल्दी स्वराज्य प्राप्त करनेकी चाबी स्वदेशी, हिन्दू- मुस्लिम एकता तथा हिन्दुस्तानीका राष्ट्रीय भाषाके रूपमें प्रचार करनेमें है। इसीलिए में लीगको इस प्रवृत्तिमें लगाने का प्रयत्न करूँगा।

स्वदेशी में ही भारतकी आर्थिक स्वतन्त्रता और नैतिक उन्नति है। इसी कारण में तो विधान परिषदोंमें जानेवाले प्रत्येक सदस्यसे वचन लेना चाहूँगा कि वे हिन्दुस्तानके उद्योगके रक्षणार्थं विदेशी मालपर जितना आवश्यक जान पड़े उतना कर लगाते हुए न डरें। जबतक हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित नहीं होती तबतक में स्वराज्यको स्वप्नवत् मानता हूँ। इसलिए मुसलमानोंको खिलाफतके न्यायपूर्ण संघर्ष में पूरी-पूरी मदद देकर मैं उन्हें हमेशाके लिए अपना बना लेना चाहूँगा, और इसलिए मैं [ होमरूल ] लीगके प्रत्येक सदस्यको खिलाफतके कार्य में लगानेका प्रयत्न करूँगा।

हमें करोड़ों व्यक्तियोंके साथ काम करना है, उनपर प्रभाव डालना है, इसलिए मैं इस लीग तथा उसके बाहर अपने क्रिया-कलापोंमें, विभिन्न प्रान्तोंमें उनकी प्रान्तीय भाषाओंका तथा राष्ट्रीय स्तरपर राष्ट्रभाषा अर्थात् हिन्दीका उपयोग करने और करवाने- का प्रयत्न करूंगा। धारासभाके प्रत्येक सदस्यसे मैं वचन लूंगा कि वह [ प्रान्तीय ] विधान परिषद् में प्रान्तीय भाषा तथा केन्द्रीय विधान परिषद् राष्ट्रभाषाका प्रयोग करने और करवानेका प्रयत्न करेगा। इस विचार के साथ ही एक दूसरा विचार जुड़ा हुआ है। जनताका काम जल्दी करवाने के लिए, प्रजाके प्रत्येक अंगका विकास करनेके लिए मैं हिन्दुस्तानके भाषावार विभाग करनेकी दिशामें भरसक चेष्टा करूंगा तथा लीगको भी इस प्रवृत्तिमें लगाने- का प्रयास करूंगा। तेलुगू, सिन्धी, मराठी, उड़िया, गुजराती आदि भाषा-भाषी अलग- अलग प्रान्तोंके निर्माणके प्रयत्नके साथ ही मैं उन [प्रान्तों]के सम्पूर्ण विकास की योजना भी रचूँगा और लीगसे भी वैसा ही करनेको कहूँगा।

मेरे विचारसे यदि मैं लीगको ऐसी प्रवृत्तियोंमें लगा सका तो हम स्वराज्य अवश्य ही जल्दी प्राप्त करने में समर्थ हो जायेंगे। इसी दृष्टि से मैं [ मॉण्टेग्यु-चैम्सफोर्ड]

१. देखिए "ऑल इंडिया होमरूल लीगके सदस्योंसे ",२८-४-१९२० की पाद-टिप्पणी २।