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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दीपक महादेवके साथ कुरसीके बिना ही चढ़ गया। इसके कारण उसे कोई हानि नहीं हुई। चलते वक्त उसने दूध पी लिया था और ऊपर पहुँचकर केक खाया। अब वह गहरी नींद सो रहा है। प्रभुदास पहलेसे बहुत अच्छा और चुस्त दीख रहा है। बालकृष्ण हमारी अगवानी करने आधी राहतक आया था। रेवाशंकरभाई कल आनेवाले हैं। आइस डाक्टर भी अभी-अभी मेरे लिए दो बकरियाँ लेकर यहाँ आ गये हैं। खबर है कि तिलक महाराज भी आज शामको आनेवाले हैं। उनके साथके अन्य लोग तो उनके बँगले में पहले से ही मौजूद हैं।

बकरियाँ अब इवर चली आ रही हैं, उनकी मीठी आवाज मेरे कानोंमें पड़ रही है। अगर शादी निपट गई हो या मुल्तवी हो गई हो, तो मैं आशा करता हूँ कि तुम भी मण्डली में शामिल होकर इसे अपने संगीत तथा हास्यसे मुखरित करोगी।

इस तरह तो मैं लिखता ही चला जाऊँगा। लेकिन अब बन्द करना चाहिए। यह भय तो नहीं है कि तुम उकता जाओगी, लेकिन मुझे और काम भी करते हैं।

हाँ, अभी मुझे एल० गिरधारीलालके पोस्ट-कार्डकी याद आ आई, जिसमें उन्होंने उस कंगनकी माँग की है जो तुमने बाग-फंडके लिए देनेका वादा किया था। मेरा खयाल है वह तुमको कल ही भेज दिया गया है। जो भी हो, मैं तुम्हें उसकी याद दिला देता हूँ। मैंने समझा था कि तुमने अपना कंगन वहीं, उसी समय दे दिया था।

मेरे पैरके बारेमें तुम फिक्र न करना। यहाँकी सुन्दर आबोहवा में मैं बिलकुल ठीक हो जाऊँगा। दीपककी भी फिक्र मत करना। हम सब उसकी पूरी देख-भाल करेंगे। शंकरलाल उसे मोटरमें कोलाबा सैर कराने ले गये थे। उन्होंने मुझसे उसे सिनेमा ले जानेके लिए भी पूछा था लेकिन मैंने कह दिया कि मैं इसकी जिम्मेदारी नहीं लूंगा। तुम कहो तो उसे फिर कभी सिनेमा भेज दूंगा। उस समय मैंने इसके बजाय कोलाबा या विक्टोरिया गार्डनकी सैर कराने को कहा। इसीलिए ले गये थे। महादेव और दीपक दोनोंने शंकरलालके साथ ही खाना खाया दीपकके बारेमें जो कुछ किया वह ठीक तो था न?

सस्नेह,

तुम्हारा,

विधि-प्रणेता

[अंग्रेजीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई


१. बम्बईके रेवाशंकर झवेरी, व्यवसायी और गांधीजीके बहुत बड़े प्रशंसक।

२. जालियाँवाला बागकी खरीदारीके सिलसिलेमें एकत्र किया जानेवाला चन्द्रा।

३. शंकरलाल बैंकर।