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पत्र: मगनलाल गांधीको

हाथ-कते ताने और बानेकी खादी

चौड़ाई २४ इंच

०-८-०

०-८-६

चौड़ाई २७ इंच

धुली खादीके लिए उपर्युक्त दरोंमें ०-०-६ और जोड़ लें।

[अंग्रेजी से]

यंग इंडिया, २८-४-१९२०

१३७. पत्र : मगनलाल गांधीको

बम्बई

वैशाख सुदी १० [२८ अप्रैल, १९२०]

चि० मगनलाल,

तुम्हारे पाससे चले आने के बाद मुझे बड़ी परेशानी हुई। तुमने उस दिन एकाएक ही वे निराशा-भरे शब्द कहे। इनको तुम अबतक किस तरह भीतर-ही-भीतर सँजोयें रहे? तुम्हारा काम तो, जब तुम्हें निराशाका अनुभव हो तभी उसे मुझपर प्रकट करना है। अब तो मैं यही चाहता हूँ कि तुम हृदय खोलकर अपने मनकी सब बातें मुझसे कह दो। तुम्हारे लिखनेसे में उकताऊँगा नहीं। तुम नहीं लिखोगे तो मुझे दुःख होगा। इस बीच, जो श्लोक निराशाके समय मेरी मदद करता है, मैं तुम्हें लिखकर भेज रहा हूँ:

मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।

आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ॥ १

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५७८४) से।

सौजन्य : राधाबेन चौधरी


१. गांधीजी २७ अप्रैलको अहमदाबादसे बम्बईके लिए रवाना हुए थे। यह पत्र सम्भवतः उन्होंने २८ तारीखको लिखा था जिस दिन वैशाख सुदी ११ पड़ती थी । सुदी १० क्षय तिथि थी।

२. गीता २-१४ ।