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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


यह खद्दर इस समय सत्याग्रह आश्रम में इकट्ठा किया जा रहा है। और मैंने यह इतनी बड़ी मात्रामें इकट्ठा कर लिया है कि मुझे जितना स्थान उपलब्ध है उसमें वह समाता नहीं है। इसलिए में 'यंग इंडिया' के पाठकोंसे प्रार्थना करता हूँ कि वे अपने घरों में खद्दरका उपयोग आरम्भ करके मेरी सहायता करें।

यह कहनेकी कोई आवश्यकता नहीं कि आश्रम इस खादीसे कोई लाभ नहीं कमाता। यदि कुछ थोड़ी-बहुत बचत हो भी जाती है तो वह प्रारम्भिक अवस्था में हुए घाटेको पूरा करनेमें लगाई जाती है—या उसका उपयोग उन बाहरी जिलोंसे प्राप्त खद्दरके भाव कम करनेमें किया जाता है, जहाँ और जगहोंकी अपेक्षा इसका उत्पादन-व्यय अधिक बैठता है, क्योंकि उत्पादन व्यय सर्वत्र एक-सा ही नहीं होता। बुनकरोंको अपने मूल धंधेको फिर शुरू करनेके लिए राजी करने के उद्देश्य से मुझे उन्हें उनके गुजारेके लायक फिलहाल काफी पैसा देना होता है।

यदि कोई खद्दरका उपयोग अपने ऊपरी पहनावेके लिए न करना चाहे तो उसका उपयोग भीतरी पह्नावेके लिए किया जा सकता है। किन्तु यदि कोई अपने निजी पहनावे के लिए इसका उपयोग न भी करना चाहे तो वह टोपियाँ, तौलिये, झाड़न, चायके लिए मेजपोश, वस्ते, चद्दरें, बिस्तरे, होल्डॉल, नमदे, मसनद और मेज-कुर्सी आदिके कवर बनाने के लिए इसका उपयोग कर सकता है। मैं इसे स्वदेशी ढंगसे लाल रंगमें रँगवा रहा हूँ। इससे यह अधिक टिकाऊ हो जाता है और यदि दरियाँ या गछियाँ या सोफे आदिके छादन (कवर) बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाये तो यह कम मैला दिखता है। जो लोग गरीबों और उपेक्षितोंके इस उद्योगको सहारा देना चाहते हैं उन्हें में सलाह दूंगा कि वे मैनेजर, खद्दर विभाग, सत्याग्रह आश्रम, साबरमती से पत्र व्यवहार करके खद्दर मँगा लें।

 

दर्रें

  दर प्रतिगज
  रु॰ आ॰ पा॰
मिलके सूतके ताने और बानेकी  
खादी दो सूती ताना-बाना  
चौड़ाई २५ इंच ०—९—०
चौड़ाई २७ इंच ०—९—०
चौड़ाई ३० इंच ०—१०—०
मिलके सूतके ताने और हाथके सूतके बानेकी खादी  
चौड़ाई २७ इंच, २० नम्बर का ताना ०—९—०
८ नम्बरका ताना ०—८—०
चौड़ाई २४ इंच, २० नम्बरका ताना ०—८—०
धारीदार खादी ०—८—६
लाल खादी ०—८—६