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'ऑल इंडिया होमरूल लीग' के सदस्योंसे

आकार कम होने के बावजूद विषयोंमें कोई कमी नहीं होगी और उन विषयोंकी संक्षेपमें चर्चा करते हुए हमारा निरन्तर यह प्रयत्न रहेगा कि किसी भी महत्त्वपूर्ण विषयको छोड़ा न जाये।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, २५-४-१९२०

१३३. 'ऑल इंडिया होमरूल लीग' के सदस्योंसे

वैसे किसी पूर्णतया विशुद्ध राजनैतिक संस्थाका सदस्य बनना मेरे लिए अपने जीवनके सहज पथसे स्पष्ट ही अलग हटकर चलना है। परन्तु सावधानीसे सोच-विचार करने तथा मित्रोंसे मशविरा करनेके बाद, में 'आल इंडिया होमरूल लीग' में शामिल हो गया हूँ और उसका अध्यक्ष पद भी मैंन स्वीकार कर लिया है। कुछ मित्रोंने, जिनसे मैंने सलाह ली, मुझे बतलाया कि किसी भी राजनैतिक संगठन में मुझे शामिल नहीं होना चाहिए और यदि मैं ऐसा करूंगा तो अभी मुझे अपने-आपको हर चीजसे अलग रखने और अलग हटकर उसे देखनेका जो बड़ा सौभाग्य प्राप्त है, वह नहीं रह जायेगा। में स्वीकार करता हूँ कि इस चेतावनीमें मुझे काफी सार दिखाई पड़ा। साथ ही मुझे लगा कि यदि लीगने मुझे जैसा में हूँ, उसी रूपमें स्वीकार कर लिया है, तो फिर ऐसे एक संगठनके साथ अपनेको एकरूप न करना भी गलत होगा, क्योंकि में इसका उपयोग उन उद्देश्योंको आगे बढ़ाने के लिए कर सकता हूँ जिनमें मैंने विशेष योग्यता प्राप्त की है और जिसके तरीकोंको मैंने आत्मानुभवके आधारपर सामान्यतया अपनाये जानेवाले अन्य तरीकोंकी तुलनामें कहीं अधिक शीघ्रतासे, कहीं अधिक अच्छे रूपमें फलप्रद होते देखा है। मैंने लीगमें शामिल होने से पहले बम्बई अहातेसे बाहरके लोगोंकी राय जाननेकी कोशिश की थी, जिनके निकट सम्पर्क में आनेका मुझे इतना मौका नहीं मिला था जितना कि बम्बई अहातेके सहयोगियोंके साथ मिला था।

मैंने जिन उद्देश्योंका उल्लेख किया है वे हैं-- स्वदेशी, हिन्दू-मुस्लिम एकता जिसमें खिलाफत विशेष है, राष्ट्रभाषाके रूप में हिन्दुस्तानीकी स्वीकृति और भाषाके आधारपर प्रान्तोंका पुनविभाजन। यदि में सदस्योंको साथ रख सका तो लीगको इन कामों में लगाऊँगा ताकि राष्ट्रका अधिकांश समय और ध्यान उनमें लगे।

में स्पष्ट स्वीकार करता हूँ कि राष्ट्रीय पुनर्गठनकी मेरी योजनामें 'सुधारों का स्थान गौण है। इसलिए कि में महसूस करता हूँ कि मैंने जिन कामोंको चुना है यदि राष्ट्रकी समूची शक्ति उनमें लगे तो उसके फलस्वरूप वे तमाम 'सुधार' हमें हासिल हो जायेंगे जिनकी कामना अत्यन्त उत्साही किस्मके उग्रवादी लोग कभी कर सकते हैं, और जहाँतक यथाशीघ्र पूर्ण स्वराज्यकी वांछनीयताका सम्बन्ध है, उस दिशा- में प्रगति तेज करनेकी मेरी इच्छा किसीसे भी कम नहीं है। और चूँकि में महसूस करता

१. गांधीजी २८ अप्रैल, १९२० को 'ऑल इंडिया होमरूल लीग' में शामिल हुए।