पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/४०८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३७६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

समय अनेक बहनें जुटी हुई हैं। उनमें से कोई-कोई हीन जीवन व्यतीत करती थी; कोई अपने बच्चोंके लिए दूध-जैसी वस्तुतक लेने में असमर्थ थी। वे बहनें इस समय सम्मानके साथ थोड़ा-बहुत कमा रही हैं। हिन्दुस्तानकी भुखमरीको सहज ही दूर करने तथा हिन्दुस्तान में जीवनको अधिक सम्मानके साथ बितानेकी दिशा में प्रत्येक पाठक अपना योगदान दे ऐसी मेरी इच्छा है।

जिन्हें खादी चाहिए, वे मुझे पत्र लिखने के बजाय सत्याग्रह आश्रम में खादी विभागके व्यवस्थापकको पत्र लिखें। मुझे लिखने से सम्भव है, ऐसे पत्रोंका उत्तर देनेमें देर हो जाये। आश्रम में जिन विभिन्न किस्मोंकी खादी इकट्ठी है उसके भाव भी, व्यवस्थापक सत्याग्रह आश्रमको लिखनेपर मिल सकेंगे।

[गुजराती से]

नवजीवन, २५-४-१९२०

१२९. काठियावाड़ी शिष्टता

साहित्य परिषद् के समय लाल दरवाजेके बाहरवाले मैदानमें अपने भाषणके ' दौरान मैंने काठियावाड़ी शिष्टताके सम्बन्धमें कुछ उद्गार प्रकट किये थे, उस विषयमें मुझे कुछ पत्र प्राप्त हुए हैं। एक पत्रमें मुझपर आरोप लगाया गया है कि मैंने काठियावाड़के साथ अन्याय किया है। अपनी समझमें तो मैंने अपने भाषणों में काठियावाड़की शिष्टताका बखान किया था। शिष्टाचारकी अतिशयताकी निन्दा की थी। काठियावाड़के लोगोंमें जिस उदारता, विनयशीलता, आतिथ्य, सरलता और प्रेमके दर्शन होते हैं, उनको मैं किसी दृष्टिसे ओझल नहीं कर सकता; में उनकी निन्दा नहीं कर सकता। लेकिन काठियावाड़ में इन्हीं गुणों तथा अन्य उलटी रूढ़ियोंके कारण दम्भ, कृत्रिमता आदिके रूप में परेशानियाँ पैदा हो गई है; यदि में इनकी आलोचना न करूँ तो जिन दोषोंसे मैं अपने आपको मुक्त मानता हूँ उन दोषोंसे दूसरोंको बचानेके अवसरकी उपेक्षा करना ही होगा। में जब कभी काठियावाड़के लोगोंके सम्पर्क में आता हूँ, मुझे इन गुण और दोष, दोनोंका अनुभव होता है। मेरी यह दृढ़ मान्यता है कि नई पीढ़ी, काठियावाड़का युवक-वर्ग इन गुणोंको विकसित करने तथा इनसे उत्पन्न दोषोंको त्यागकर बहुत आगे बढ़ सकता है। लेकिन दोषोंको देखे-समझे बिना उनका त्याग असम्भव है। इसलिए मुझे जिन्होंने उक्त पत्र लिखे हैं उनसे में निम्नलिखित प्रश्न पूछूंगा:

(१) क्या आपने यह नहीं देखा कि अन्य लोगोंकी अपेक्षा काठियावाड़ी लोग झूठा शिष्टाचार निभानेमें न देने योग्य वचन देते हैं? (२) क्या आपने काठियावाड़के लोगोंको अन्य लोगोंकी बनिस्वत शिष्टाचारकी ही खातिर अपने बूतेसे बाहर खर्च करते नहीं देखा है? (३) क्या आपने यह नहीं देखा कि शिष्टाचारके बावजूद काठियावाड़के व्यवहारमें, सार्वजनिक और निजी जीवनमें, अशिष्टताके दर्शन होते हैं?

१. २ अप्रैल, १९२० का।