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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करते रहना चाहते हैं तो भले ही आपको चौगुनी मजदूरी मिलने लगे और काम चतुर्थांश ही करना पड़े, मगर इससे क्या होता है? मजदूरी बढ़ानी है, कामके घंटे भी कम कराने हैं, क्योंकि हमें अपने घर, अपने शरीर, अपने मन और अपनी आत्माको स्वच्छ रखना है। इसी शुद्धीकरणके निमित्त हम अधिक मजदूरी और कारखाने में कम समय काम करनेकी आवश्यकताका अनुभव करते हुए इस दिशा में प्रयत्न कर रहे हैं; परन्तु उद्देश्य यह न हो तो हमारा अधिक मजदूरी कमाना और कामके घंटोंमें कमी करवाना अधिक पाप करनेके साधन एकत्रित करने जैसा होगा। पूजनीय अनसूया बहनने आप लोगोंकी इस प्रवृत्तिके लिए अपना जीवन अर्पित नहीं किया है- --यह बात मुझे मालूम है और आप भी जानते हैं। मैं ईश्वरसे यही माँगता हूँ कि वह आप लोगोंको तथा इस बहनको इतनी शक्ति प्रदान करे कि यह बहन आपकी मनोकामना फलीभूत कर सके।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, २५-४-१९२०


११९. पत्र: महादेव देसाईको

सोमवार [१९ अप्रैल, १९२०]

भाईश्री महादेव,

छगनलालको लिखा तुम्हारा कार्ड मैंने पढ़ा। अब तुम्हारे पत्र न आनेका कारण समझ में आया। तुमने तो जाने नियमित रूप से बीमार पड़ते रहनेका निश्चय कर लिया मालूम होता है? दुर्गा कैसी है? लगता है तुम्हें अभी वहीं रहना होगा । अपनी तबीयतकी देखभाल रखना।

मालवीयजी अभी यहीं हैं। हम अभी मजदूरोंके झगड़े में पड़े हुए हैं, इसलिए कल स्टेशन रवाना होते-होते रह गये। उनके साथ कोई उल्लेखनीय बात नहीं हुई। तुम दिल्ली आनेके अपने कार्यक्रमको बदलना नहीं।

यहाँ बुनाई आदिका काम ठीक चल रहा है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ९८२९) की फोटो-नकलसे।



१. पत्रमें मालवीयजी और मिल-मजदूरोंके उल्लेखके आधारपर यह तारीख निश्चित की गई है।