११४.पत्र:अब्बास तैयबजीको
आश्रम
अप्रैल, [१९२०]
प्रिय भाई,
इतने लम्बे अर्सेतक मैंने आपको कोई चिट्ठी-पत्री नहीं लिखी। आशा है, इसके लिए क्षमा करेंगे। ऐसा कोई दिन नहीं बीता है जब मैं आपको एक स्नेह-पत्र लिखनेके लिए लालायित नहीं रहा हूँ। लेकिन कामका दबाव इतना रहा कि लिख नहीं सका। मैंने सरलादेवीसे अनुरोध किया कि आपको मेरी ओरसे लिख दें, लेकिन उन्होंने कहा कि खुद मेरी लिखावटमें लिखे पत्रके बिना काम नहीं चल सकता। इस तरह व्यस्तता में दिनपर-दिन बीतते गये और मैं आपको कोई पत्र नहीं लिख पाया। लेकिन आशा है रेहानाकी मार्फत आपको मेरा सन्देश मिल गया होगा। क्या शानदार लड़की है वह! वास्तवम ठाकुर घराने और तैयबजीके घराने जैसे परिवार भारत में गिने-चुने ही हैं और ये परिवार देशके मित्र हैं। मेरा भी सौभाग्य ही है कि जहाँ-कहीं भी जाता हूँ, इन लोगोंसे भेंट हो जाती है। लेकिन मैं तबतक माननेवाला नहीं हूँ जबतक कि ये बच्चियाँ और श्रीमती अब्बास मेरे लिए कुछ कताईका काम नहीं करतीं। मैं जानता हूँ, इसकी जिम्मेदारी आप मुझपर डालेंगे। खैर, जो चाहिए कीजिए लेकिन आप किसी एक लड़कीको यहाँ कताई सीखनेके लिए भेजकर यह कठिनाई आसानी से दूर कर सकते हैं। अगर यह असम्भव हो तो मुझे वहाँ एक प्रशिक्षक भेजना ही पड़ेगा। कृपया सूचित करें कि क्या करूँ।
और अब आपकी सेहत के बारेमें। रेहानाने बताया कि अभी भी आपकी सेहत गड़बड़ ही चल रही है। आप बहुत ज्यादा फिक्र करते हैं। मैं तो बस चुटकी बजाकर सारी फिक्र फुर्र कर दूंगा और अपनेको तथा दुनियाको भी भगवान्के भरोसे छोड़ दूंगा । इस अखिल संसृतिकी योजना में हमारा महत्त्व तो चींटियोसे भी कम है। इसलिए हमें जो काम सौंपा जाता है वह सिर्फ इसलिए कि हम परिणामोंके प्रति सर्वथा अनासक्त रहकर अपने-भर पूरी ताकत लगाकर देख लें। और यह नियम हमारी शारीरिक अस्वस्थताके साथ भी इतना ही लागू होता है जितना कि पंजाब के मामलेके साथ।पहले मामले में आप डाक्टरकी सलाह लीजिए और निश्चिन्त हो जाइए; और दूसरे में आप पूरी सावधानीके साथ एक उत्तम रिपोर्ट तैयार कर दीजिए
१. १८५३-१९३६; गुजरातके एक राष्ट्रवादी मुसलमान नेता; बड़ौदा उच्च न्यायालयके भूतपूर्वं न्यायाधीश; पंजाबके उपद्रवोंपर रिपोर्ट देनेके लिए कांग्रेसकी पंजाब उप-समिति द्वारा नियुक्त कमिश्नरोंमें से एक।
२. पत्रमें पंजावके सम्बन्धमें रिपोर्ट तैयार करनेकी चर्चासे जान पड़ता है कि यह १९२० में ही लिखा गया।