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तार:भारत-मंत्रीको

बुआजी और निर्मला दोनों यहीं हैं। महादेव और दुर्गा अपने गाँव गये हैं। बालकृष्ण तथा प्रभुदास सिंहगढ़ में हैं। स्वदेशीके कामके लिए गोविन्द बाबूको बम्बई रखा है।

तुम्हारे कामका सिलसिला अब जम गया है न? रामदास और मणिलालके सम्बन्धमें एन्ड्रयूज जो समाचार देते हैं वह सन्तोषजनक हैं। दोनोंकी तबीयत भी ठीक है और दोनों फिलहाल 'इंडियन ओपिनियन' के काममें व्यस्त हैं।

इस तरह आजके इस पत्रको में परिवारके सदस्योंके बारेमें जानकारी देकर ही समाप्त करता हूँ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ७१६९) की फोटो-नकलसे।

११३. तार : भारत-मंत्रीको

[१५ अप्रैल, १९२० के बाद]

मुझपर इस बातके लिए दबाव डाला जा रहा है कि मैं इंग्लैंड जाऊँ, खिलाफत प्रश्नके बारेमें मन्त्रियों व जनतासे भेंट करूँ और दूसरे शिष्टमण्डल- पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने देते हुए वहाँके मंत्रियों और जनताको सच्ची हिन्दू-मुस्लिम भावनासे परिचित कराऊँ और मुसलमानोंके प्रबल बहुमत- की भावनाके प्रतिकूल निर्णय होने से जो घातक उनका ध्यान दिलाऊँ । कोई भी गम्भीर कदम मिलकर उन्हें इस महत्त्वपूर्ण मामलेपर अपनी दृष्टिकोण समझना पसन्द करूँगा । इसलिए मैंने अपने तथा साथियोंके लिए [ इंग्लैंड जानेकी ] सहमति देनेका अनुरोध किया। वाइसराय महोदय परिणाम होंगे उनकी ओर उठानेसे पहले में मन्त्रियोंसे भावना बताना और उनका परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदय से अनुमति और अपने मिशनपर अनुमति देनेको तो राजी हैं परन्तु यह कहनेको तैयार नहीं हैं कि हमारे मिशनकी कोई उपादेयता है या नहीं। इस सम्बन्ध में कोई राय देनेमें में वाइसरायकी अनिच्छा समझ सकता हूँ परन्तु साथ ही इस कठिन कार्य में सरकारसे प्रोत्साहन प्राप्त किये बिना में इंग्लैंडके लिए प्रस्थान करना नहीं चाहता। क्या आप मुझे मंत्रियोंके दृष्टिकोणसे अवगत करानेकी कृपा कर सकते हैं?

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एबस्ट्रेक्ट्स

१. स्पष्ट है कि यह तार गांधीजीके १३ अप्रैल, १९२० के तारका वाइसरायसे उत्तर मिल जानेके पश्चात् भेजा गया होगा। उत्तर १५ अप्रैलतक नहीं आया था। देखिए पिछला शीर्षक।