नहीं कहूँगा। तुम वही करो जो करनेकी प्रेरणा तुम्हें ईश्वर दे। लेकिन यह हमेशा ध्यान रखो कि वह ईश-प्रेरणा ही है या नहीं।
हाँ, निश्चय ही में श्री मेननसे मिलना चाहूँगा। तुम जिनके प्रति स्वयंको समर्पित करना चाहती हो मेरे लिए तो यही इस बातका पर्याप्त प्रमाण है कि वे कोई सामान्य युवक नहीं हैं।
मेरे लन्दन जानेके बारेमें कुछ भी निश्चित नहीं है। अभी तो बात ही बात है। मैंने वाइसराय महोदयको पत्र लिखा है और बहुत कुछ उनके उत्तर- पर निर्भर करेगा।
बम्बईमें मुझे उपवास-सप्ताहके दौरान बहुत अच्छे अनुभव हुए। लेकिन उनके बारे में तो मिलनेपर बताऊँगा। तुम्हारे स्वदेशके लिए कब प्रस्थान करनेकी सम्भावना है?
सस्नेह,
तुम्हारा,
बापू
नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया में सुरक्षित हस्तलिखित मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो-नकल तथा माई डियर चाइल्डसे।
११२. पत्र: देवदास गांधीको
आश्रम
चैत्र बदी ११ [१५ अप्रैल, १९२०]
चि० देवदास,
मैं आज बृहस्पतिवारको आश्रम पहुँचा हूँ। मैंने दो दिनका उपवास बम्बई में ही पूरा किया। तुम्हारा पटनासे वापस लौटकर लिखा हुआ पत्र मिला।
सरलादेवी तथा पण्डितजी' बम्बईमें हैं। वे यहाँ १९ तारीखको पहुँचेंगे।
१६ को बम्बईसे रवाना होकर गोधरा जायेंगे।
बम्बई में कविके साथ भी काफी मिलना-बैठना हुआ। रेवाशंकर भाईके यहाँ एक दिन [उन्हें] भोजन कराने भी ले गया था।
बम्बईमें अच्छी-खासी रकम इकट्ठी हुई है। लेकिन मैंने जितनी अपेक्षा की थी उससे कम ही है।
१. पत्र में जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है वे सब १९२० की हैं । उस वर्ष बृहस्पतिवार, १५ अप्रैल, चैत्र वदी १२ को पड़ा था । १२ के स्थानपर यहाँ भूलसे'
११' लिखा हुआ है।
२. ६ अप्रैलसे १३ अप्रैल, १९२० तक गांधीजी बम्बईमें थे।
३. रामभजदत्त चौधरी।
४. रवीन्द्रनाथ ठाकुर राष्ट्रीय सप्ताहके दौरान बम्बई में थे।
५. जलियाँवाला बाग-स्मारक कोषके लिए।