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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिए भारतीय मजदूर लेने के उद्देश्यसे यहाँ आये हैं। अबतक दोनों उपनिवेशोंको गिरमिटिया मजदूर मिलते थे। मौजूदा गिरमिट दोनों ही उपनिवेशोंमें अभी हालमें ही रद किये गये हैं।

विभिन्न उपनिवेशोंमें रहनेवाले ब्रिटिश भारतीयोंके दर्जेके सम्बन्धमें परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदयका रुख सामान्यत: सही रहा है, और इस मामलेपर जन-इच्छाको उन्होंने बहुत साफ ढंगसे प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि भारतसे यह आशा नहीं की जा सकती कि वह स्वयं हानि उठाकर उपनिवेशोंकी सुविधाका विचार करे; और साथ ही जो स्वतन्त्र भारतीय अपनी स्थिति सुधारनेके विचारसे किसी उपनिवेशमें जाना चाहेंगे उन्हें भारत सरकार वहां जानेसे रोक भी नहीं सकती। वाइसराय महोदयने यह भी कहा कि इन शिष्टमण्डलोंसे बातचीत करने और प्रश्नपर विचार करने के लिए शायद गैर-सरकारी सदस्योंकी एक समिति नियुक्त की जायेगी[१] और सरकार उस समितिकी सलाहके अनुसार कार्य करेगी।

आइए, अब हम स्थितिपर विचार करें। ब्रिटिश गियानाका शिष्टमण्डल अपने बागानोंके लिए खेतिहर ढंगके स्वतन्त्र भारतीयोंको अपने यहाँ बसाना चाहता है। फीजीका शिष्टमण्डल गिरमिटियोंके बजाय स्वतन्त्र मजदूर चाहता है। दोनों उपनिवेश ऊष्ण कटिबन्धमें पड़ते है और मुख्यतः गन्ना उगाते हैं। ये उपनिवेश दक्षिण आफ्रिका और पूर्व आफ्रिकाके पठारोंकी तरह नहीं हैं जहाँ यूरोपीय उपनिवेशी रह सकें। ये यूरोपीयोंके बसने लायक नहीं है। किन्तु उनका विकास यूरोपीय पूँजी लगाकर भारतीय श्रमिकोंकी सहायतासे किया जा रहा है। यदि उन्हें नौकरों या मुकद्दमोंके रूपमें भारतीय मजदूर नहीं मिलते तो उन्हें किसी दूसरे स्रोतका शायद चीनका—सहारा लेना पड़ेगा।

मुझे दोनों शिष्टमण्डलोंसे मिलनेका अवसर मिला है और ब्रिटिश गियानाके शिष्टमण्डलसे तो मैं कई बार मिला हूँ। ब्रिटिश गियानासे गिरमिटिया भारतीयोंके साथ दुर्व्यवहारको कोई शिकायत नहीं मिली है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि ब्रिटिश गियानामें कोई कानूनी असमानता नहीं है। फीजीके कानूनमें भी शायद कोई बहुत बड़ी असमानता नहीं है। मैं यह भी समझता हूँ कि फीजीकी सरकार और खेतमालिक अब भारतीय मजदूरोंसे अधिक अच्छा व्यवहार करने और अधिक अच्छी शतोंपर काम लेनेको तैयार हैं।[२]किन्तु हमारे लिए विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या हम इन उपनिवेशोंमें भारतीय मजदूरोंको भेजना चाहते हैं, और यदि भेजना चाहते हैं तो शर्ते क्या ऐसी हैं कि उनसे भारतीयोंकी नैतिक तथा आर्थिक स्थितिमें सुधार होगा।

  1. १. फरवरी १९२० में भारतीय विधान परिषद्में इस समितिको नियुक्तिका प्रस्ताव स्वीकार किया गया।
  2. २. सन् १९२० के प्रारम्भमें फीजीके भारतीय मजदूरोंने एक हड़ताल की, जिसका जाहिरा उद्देश्य अच्छी मजदूरी प्राप्त करना और जिन परिस्थितियोंमें मजदूर काम करते थे उनमें सुधार करवाना था; किन्तु आगे चलकर इसके कारण बड़ा उपद्रव और अव्यवस्था फैली जिसे बलपूर्वक दबा दिया गया।