पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३७१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३९
सर रवीन्द्रनाथ ठाकुर

(ऊपरकी सामग्री टाइप करनेके लिए देनेके बाद मुझे यह दारुण समाचार मिला है कि आखिरकार परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदयने भारतीय मानसंपर वह निर्मम आघात कर ही दिया है जिसकी आशंका थी। अब यह भारतीयोंका काम है कि इस आघातके बावजूद वे हिम्मत बनाये रखें।--सम्पादक,'यंग इंडिया')

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, ७-४-१९२०


१०४. सर रवीन्द्रनाथ ठाकुर'

वर्तमान युगके सबसे बड़े कविका गुजरात-आगमन कोई छोटी-मोटी घटना नहीं है। और गुजरातने अपनी राजधानीमें उनका भव्य स्वागत करके अपने आपको सम्मानित किया है। लोगोंने महाकविके प्रति जो श्रद्धा प्रकट की, उससे अवश्य ही उनका हृदय अभिभूत हो उठा होगा। साहित्य परिषद्में उन्होंने जो भाषण दिया' वह गद्य-काव्य ही है। इसमें उच्चतम भावनाओंकी अभिव्यक्ति हुई है। इसकी एक-एक पंक्ति उनका प्रयास जिस धार्मिक भावनासे ओतप्रोत है, उसका प्रमाण है। यह महाकविकी गरिमा और अवसरके सर्वथा उपयुक्त है। उन्होंने आधुनिक सभ्यताकी उपजके रूप में कलकत्तेक जो उल्लेख किया वह उनकी सहज शिष्टता और विनयशीलताका सुन्दर नमूना है। व्यावसायिक भावनासे ओतप्रोत और साठसे अधिक मिलोंवाले इस नगरमें उन्हें यह सत्य तो व्यक्त करना ही था। उन्हें अहमदाबाद के लोगोंको यह बताना था कि ईश्वरकी उपासनाको कंचनकी साधनासे ऊपर रखना चाहिए। उन्होंने कलकत्तेकी स्थितिका वर्णन करके अपने इस कर्त्तव्यका निर्वाह बड़े ही कुशल ढंगसे कर लिया। हमें आशा है कि गुजरातके लोग महाकविके सन्देशको हृदयंगम करेंगे। यही उस सन्देशकी सबसे बड़ी कद्रदानी होगी|

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, ७-४-१९२०



१. गांधीजीके स्वाक्षरोंमें इस लेखका मसविदा गांधी स्मारक निधिमें उपलब्ध है। मसविदेमें प्रथम मूल वाक्यका गठन यंग इंडिया में छपे वाक्यों से कुछ भिन्न है जिसका अनुवाद इस प्रकार होगा:

"यह कोई छोटी-मोटी घटना नहीं है--वर्तमान युगके सबसे बड़े कविका गुजरात आगमन। "

२. अप्रैल १९२० के पहले हफ्तेमें। इस अवसरपर गुरुदेव और गांधीजीका जो चित्र लिया गया था वह पृष्ठ १९२ के सामने दिया जा रहा है।

३. २ अप्रैल को।