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१०२.भाषण:राष्ट्रीय सप्ताह सभामें

६ अप्रैल, १९२०

माननीय वी० जे० पटेल द्वारा प्रस्तुत रौलट अधिनियम रद करनेकी माँगके प्रस्तावका अनुमोदन करते हुए श्री गांधीने जो भाषण दिया उसका अधिकृत सारांश नीचे दिया जाता है:

श्री गांधीने कहा, मुझे आशा है कि यदि सदैव नहीं तो कमसे-कम सत्याग्रह सप्ताहके दौरान तो सभाएँ उन्हीं सिद्धान्तोंके अनुसार की जायेंगी जिनके अनुसार वे सत्याग्रह आन्दोलनके दौरान की गई थीं। वे सिद्धान्त थे: किसी प्रकारके संकेत द्वारा अथवा बोलकर वक्ताओंके भावणोंके प्रति सहमति अथवा असहमति न प्रकट की जाये, बल्कि उनके कथनको पूरी शान्ति और सम्मानके साथ सुना जाये । मेरा खयाल है कि यदि इस नियमका पालन किया गया तो श्रोताजन विभिन्न वक्ताओं द्वारा प्रति- पादित विचारोंको भली-भाँति समझ सकेंगे। मैंने इसे सत्याग्रह सप्ताह कहा है, परन्तु आशा है कि कोई भी श्रोता इससे डरेगा नहीं। मैं अपनी जिम्मेदारी पूरी तरहसे समझता हूँ, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं बम्बई प्रेसीडेन्सी एसोसिएशन, जो एक गैर सत्याग्रही संस्था है, के तत्त्वावधान में आयोजित सभामें बोल रहा हूँ। मैं सत्याग्रह सप्ताहके बारेमें निःसंकोच होकर बोल रहा हूँ क्योंकि मैं न तो सविनय प्रतिरोधपर जोर दे रहा हूँ और न उसे अपनानेको ही कह रहा हूँ। मैं वचन और कर्ममें सचाई बरतने और सत्य प्राप्तिके अथक प्रयासमें अहिंसाकी आवश्यकतापर जोर देना चाहता हूँ। श्री पटेलने जो उनसे पूर्व बोले थे, कहा कि प्रस्ताव किसी कामके नहीं हुआ करते। श्री गांधीने कहा कि मैं कुछ हदतक श्री पटेलसे सहमत हूँ। परन्तु प्रस्ताव कई प्रकारके होते हैं। हमारा प्रस्ताव निराशासे नहीं, विश्वाससे प्रेरित है। इसमें सरकारसे उतना निवेदन नहीं किया गया है जितना कि सर्वशक्तिमान् प्रभुसे। में उपवास और प्रार्थनामें विश्वास रखनेवाले व्यक्तिको हैसियतसे यह कहनेका साहस करता हूँ कि हमारे पक्षमें सत्य हो, हमारा हृदय प्रार्थनापूर्ण हो और उसके साथ-साथ हम बलिदानके लिए भी कृतसंकल्प हों तो हमारी सफलता निश्चित है। इसके अलावा हमारा प्रस्ताव सरकारसे अपना कर्तव्य निभानेके लिए कहता है। कांग्रेसने सुधारोंके मामलेमें, जहांतक उनसे

१. राष्ट्रीय सप्ताहके सिलसिले में प्रेसीडेन्सी संघ, प्रान्तीय कांग्रेस-समिति, होमरूल लीगकी बम्बई शाखाओं तथा नेशनल यूनिधनके संयुक्त तत्त्वावधानमें ६ अप्रैल, १९२० को बम्बईके फ्रेंच ब्रिजके समीप- वाले मैदानमें वहाँके नागरिकोंकी एक सार्वजनिक सभा हुई थी। उपस्थित लोगोंमें अध्यक्षके अतिरिक्त श्री मो० क० गांधी, श्रीमती एनी बेसेंट तथा श्री मु० अ० जिन्ना भी थे। माननीय सर दिनशा एम० पेटिट इसके सभापति थे।