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अपील:जलियाँवाला बाग स्मारक कोषके लिए

खिलाफतसे सम्बन्धित प्रस्तावकी आलोचना मेरे कानों में पड़ी है। मेरा निवेदन है कि असहयोग सम्बन्धी अनुच्छेदके बिना खिलाफत प्रस्ताव बेकार होगा। देशको कुछ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है और उसके हकमें असहयोगसे बेहतर कोई ठोस कार्रवाई हो ही नहीं सकती। हिंसाको शक्तियों को किसी अन्य प्रकारसे नहीं रोका जा सकता।

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
टाइम्स ऑफ इंडिया,४-४-१९२०

१०१.अपील:जलियाँवाला बाग स्मारक-कोषके लिए'

बम्बई

६ अप्रैल, १९२०

मुझे पूरी उम्मीद है कि पंजाब स्मारकके निमित्त बम्बई अपनी विशिष्ट उदा- रताके साथ धन देगा। यह एक राष्ट्रीय कीर्ति-स्तम्भ है। मैंने बार-बार कहा है कि यह किसी भी अर्थमें ब्रिटिश विरोवो नहीं है । १३ अप्रैल, १९१९ के दुर्भाग्यपूर्ण दिवसको जो निर्दोष लोग मार डाले गये, यदि हम उनकी स्मृतिको सँजोकर नहीं रखते तो हम अपने आपको एक राष्ट्र कह सकने योग्य नहीं हैं। आशा है, अंग्रेजोंके लिए भी इस स्मारकके निमित्त चन्दा देना सम्भव होगा। उनका सहयोग इस बातका परिचायक होगा कि यह स्मारक जाति-विशेषसे सम्बद्ध नहीं है। इसके अलावा इसका हंटर समितिके निष्कर्षोंसे भी, चाहे वे अनुकूल हों या प्रतिकूल, कोई सरोकार नहीं है। यह बात सरकार द्वारा स्वीकार की जा चुकी है की जो लोग मारे गये, वे निरपराध थे। भूमिके जिस टुकड़ेपर इतने निर्दोष लोगोंका खून बहा है, उसे राष्ट्रकी सम्पत्ति बना देना और उसपर एक ऐसा राष्ट्रीय स्मारक खड़ा करना भारतका कर्तव्य है जो उन मृतकोंकी स्मृतिको सुरक्षित रखते हुए भी हर प्रकारके घृणा-द्वेषसे मुक्त होगा। हंटर समितिके निष्कर्ष चाहे जो भी हों, वे भारतको सम्भवतः उसके इस दायित्व से मुक्त नहीं कर सकते।

मो० क० गांधी

[अंग्रेजी से]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ७-४-१९२०



१.यह अपील समाचारपत्रोंको एक पत्रके रूप में भेजी गई।