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भाषण : गुजरात साहित्य परिषद् में

अनुरूप होगा। यह सभा लिखित रूपमें अपना यह विचार भी व्यक्त करती है कि अगर कोई प्रतिकूल निर्णय किया गया तो प्रत्येक भारतीयका यह कर्त्तव्य हो जायेगा कि जबतक सरकार पूरी संजीदगीके साथ किये गये अपने वादोंको पूरा नहीं कर देगी और मुसलमानोंकी भावनाको तुष्ट नहीं कर देगी तबतक वह सरकारसे सहयोग नहीं करें।

१३ अप्रैलके लिए

३...के निवासियोंकी इस सभाका विचार है कि यद्यपि अमृतसरमें भीड़ द्वारा की गई ज्यादतियाँ, वे जिन गम्भीर उत्तेजनाओंके बाद की गईं उनके बावजूद निन्दनीय हैं, फिर भी जनरल डायरने जलियाँवाला बागमें मौजूद निर्दोष निहत्थे और अन्य सभी प्रकारसे अरक्षित लोगोंका जिस तरह बिना कोई चेतावनी दिये, जान-बूझकर और योजनापूर्वक कत्लेआम किया, वह बर्बरताके इतिहासमें अद्वितीय था । अतएव यह सभा आशा करती है कि भारत सरकार और साम्राज्य सरकार ऐसे कदम उठा- येंगी जिनसे ऐसी बर्बरता और सैनिक शासनके दौरान पंजाबके जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किये गये ऐसे ही दूसरे बर्बरतापूर्ण कार्योंकी पुनरावृत्ति असम्भव हो जाये । सभा यह भी आशा करती है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी पंजाब उप-समिति द्वारा की गई सिफारिशोंपर पूरी तरह अमल किया जायेगा।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, ३१-३-१९२०

९९. भाषण : गुजरात साहित्य परिषद् में

२ अप्रैल, १९२०

आइए, अब हम इस विषयपर विचार करें कि जन-समाजको शिक्षित करनेके लिए कैसा साहित्य लिखा जाना चाहिए। कविश्रीने आज हमारे सम्मुख इस विषयमें अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कलकत्तेका उदाहरण देकर चतुराईसे काम लिया। उन्होंने देखा कि जैसा कलकत्ता है अहमदाबाद भी वैसा ही है। उन्होंने यदि शब्द-प्रहार भी किया है तो वह हमारे हित में ही है। सिडनी स्मिथ व्यंगोक्तिकी कलामें बहुत निपुण था । वह "हमारे" शब्दका प्रयोग करके प्रहारकी तीव्रताको कम कर देता था; कविश्रीने "हम शब्दका प्रयोग अपने नगरके लोगोंके लिए ही किया है,

१ तथा २ देखिए पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्ध में कांग्रेसकी रिपोर्ट ”, २५-३-१९२०।

२. यह साहित्य परिषद् अहमदाबाद में २-३ अप्रैलको हुई थी। इसकी अध्यक्षता हरगोविन्ददास काँटावालाने की थी।

३. सम्मेलन में इससे पहले रवीन्द्रनाथ ठाकुरने भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ईश्वरकी खोजको धनकी अपेक्षा अधिक महत्त्व देना चाहिए।