पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३५६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जबतक उसमें विश्वास रखकर उसके लिए काम नहीं किया गया, सफल नहीं हुआ है। इसलिए मैं तो चाहूँगा कि आप हकीमजीसे' इसपर बातचीत करके उनकी और अपनी ओरसे भी, मुझे सूचित करें कि वास्तव में स्थिति क्या है। मेरा निश्चित विश्वास है कि यदि खिलाफतके सवालको सन्तोषजनक रूपसे हल करना है तो भारतके मुसलमानोंको न केवल यह समझ लेना है कि वे चाहते क्या हैं बल्कि उन्हें असीम त्यागके लिए भी तत्पर रहना है। यदि उनमें त्यागकी कोई भावना नहीं है तो उन्हें कमसे-कम मुझ-जैसे आदमीसे कोई सरोकार नहीं रखना चाहिए। मैं कोई कूटनीतिक विजय हासिल नहीं करा सकता। मैं तो उन्हें केवल आत्मत्याग और अखंड सत्यके कठिन, कॅटीले और सँकरे मार्गसे ही आगे ले जा सकता हूँ। जहाँ ये चीजें नहीं हैं वहाँके लिए तो में सर्वथा अनुपयुक्त हूँ--वैसे ही जैसे किसी गोल छेदमें कोई वर्गाकार चीज। मैंने हसरत मोहानीसे कहा था कि जो प्रमुख नेता सक्रिय रूप से सेवा करना चाहते हैं, वे मुझसे ६ और १३ अप्रैलके बीच बम्बईमें मिलें; वहाँ उनके साथ हम लोग सत्याग्रह सप्ताह में एक बार नहीं कई बार शान्तिके साथ वार्तालाप कर सकेंगे।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

अंग्रेजी (जी० एन० ४५९०) की फोटो-नकलसे।

९४. टिप्पणियाँ

कविवर सर रवीन्द्रनाथ ठाकुरका आगमन

खबर मिल चुकी है कि कवि श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर गुजरातमें एक सप्ताहतक रहेंगे। उनकी उपस्थितिका पूरा-पूरा लाभ तो हम तभी उठा सकते हैं जब हम उन्हें शान्तिसे रहने दें और हमें जो कुछ सीखना है वह उनसे सीख लें। उन्हें आवश्यकतासे अधिक आयोजन पसन्द नहीं है। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता । उनके सम्मानमें जो सभाएँ की जायें उनमें पूरी तरह शान्ति रखना आवश्यक है। उन्हें लोगोंका शोर मचाना भी पसन्द नहीं है। हमारा खयाल है कि यदि हमने इन बातोंका ध्यान रखा तो वे भड़ौंच और सूरत भी जा सकेंगे । उनका सम्मान करनेका उत्तम उपाय तो उनके उपक्रमको आर्थिक सहायता देना है। उनके मनमें शान्तिनिकेतन आश्रम तथा वहाँकी शालाके प्रति बहुत ही गहरा लगाव है। आश्रमकी स्थापना उनके पिताश्रीने

१. हकीम अजमल खाँ (१८६५-१९२७); प्रख्यात मुस्लिम चिकित्सक और राजनीतिज्ञ, जिन्होंने खिलाफत आन्दोलनमें प्रमुख भाग लिया; १९२१-२२ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष।

२. देवेन्द्रनाथ ठाकुर।