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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हमारा यह निश्चित मत है कि सर माइकेल ओडायर, जनरल डायर, कर्नल जॉन्सन, कर्नल ओ'ब्रायन, श्री बॉसवर्थ स्मिथ, राय साहब श्रीराम सूद और मलिक साहब खाँने ऐसे घोर अवैधानिक कृत्य किये हैं कि उनको विशेष अदालतमें खड़ा किया जाये, लेकिन हम जान बूझकर ऐसी कार्रवाईकी सलाह इसलिए नहीं दे रहे हैं। क्योंकि हमारा विश्वास है कि अपने इस अधिकारको त्यागना ही भारतके लिए लाभदायक रहेगा। सम्बन्धित अधिकारियोंको बरखास्त कर देनेसे ही [ प्रशासनकी] शुद्धिकी पर्याप्त गारंटी हो जायेगी।

हम समझते हैं कि कर्नल मैकरे और कैप्टन डोवटनने भी अपना दायित्व निभाने- मैं उतनी ही चूक की है जितनी कि कर्नल ओ ब्रायन और अन्य अधिकारियोंने। लेकिन हमने उनके खिलाफ भी सरकारी तौरपर कोई कार्रवाई करनेकी सलाह जान-बूझकर नहीं दी है। ऐसा इसलिए कि ये दोनों अधिकारी अन्य अधिकारियोंकी भाँति अनुभवी नहीं थे और इन दोनोंने जो क्रूरता दिखाई वह अन्य अनुभवी अधिकारियों द्वारा बरती गई क्रूरताकी भाँति जान-बूझकर बदलेके रूपमें नहीं की गई थी।

मो० क० गांधी

सी० आर० दास

अब्बास एस० तैयबजी

एम० आर० जयकर

[अंग्रेजीसे]

रिपोर्ट ऑफ द कमिश्नर्स एपाइंटेड बाई द पंजाब सब-कमिटि ऑफ द इंडियन नेशनल कांग्रेस।

९२. पत्र: एस्थर फैरिंगको

[दिल्ली]

गुरुवार, [२५ मार्च,] १९२०

रानी बिटिया,

मेरा दिल, मेरी दुआएँ तुम्हारे साथ हैं। तुम्हारा पत्र पढ़कर मुझे कितना दुःख हुआ, कह नहीं सकता। तुम्हें इतना कष्ट सहना पड़े ! लेकिन जो धर्मपरायण है उसे ही सच्चे आनन्दकी प्राप्ति होगी। और चूँकि तुम्हारी धर्मपरायणतामें मेरा विश्वास

१. इस पत्रकी तिथि निश्चित करनेके लिए कोई स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन ऐसी सम्भावना है कि यह २५ मार्चकी सुबह दिल्लीसे लिखा गया होगा। गांधीजी २६ तारीखको सिंहगढ़ पहुचे थे और उससे पहले तीन दिन दिल्ली में थे। इसके अतिरिक्त साधन-सूत्रमें इसे ३० मार्चके पत्रसे पहले रखा गया है।