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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बाहरके राष्ट्रवादी समाचारपत्रोंके प्रवेशपर रोक लगा दी थी, उस सबसे पंजाबकी जनता उनके प्रशासनके खिलाफ भड़क उठी थी।

२. रौलट कानूनके खिलाफ चलनेवाले प्रचार-आन्दोलनने जनताके दिमाग में बेचैनी पैदा कर दी थी और सरकारकी सदाशयतापर से जनताके विश्वासकी जड़ें हिला दी थीं। अन्य प्रान्तोंकी तुलना में यह पंजाबमें ही अधिक बड़े पैमानेपर इसलिए देखनमें आया कि सर माइकेल ओ'डायरने भारत रक्षा अधिनियमका प्रयोग जन-आन्दोलनोंका गला घोटनेके लिए किया था।

३. सत्याग्रह आन्दोलन और उसकी भूमिकाके रूपमें की गई हड़तालने जहां एक ओर सारे देशमें एक नई सक्रियताका संचार किया वहाँ दूसरी ओर उसने जनताकी हिंसक प्रवृत्तियों और उसके रोषको संयमित सन्तुलित करके देशको अधिक भीषण तथा और अधिक बड़ी विपत्तियोंसे बचा लिया।

४. रोलट कानूनके खिलाफ यह प्रचार-आन्दोलन ब्रिटिश विरोधी भावनावश शुरू नहीं किया गया था; सत्याग्रह आन्दोलन जिस भावनासे शुरू किया गया था वह हिंसा और द्वेषसे सर्वथा मुक्त था और ऐसी ही भावना से उसका संचालन किया गया था।

५. पंजाबमें सरकारका तख्ता उलटनेका कोई भी षड्यन्त्र नहीं था।

६. श्री गांधीकी गिरफ्तारी और नजरबन्दी और डा० किचलू तथा डा० सत्य- पालकी गिरफ्तारी और निर्वासन सर्वथा अन्यायपूर्ण थे और जनताका क्रोध भड़काने के एकमात्र प्रत्यक्ष कारण थे।

७. अमृतसरमें भीड़की ओरसे हिसापूर्ण कार्रवाइयाँ शुरू होनेका सीधा कारण रेलवे ओवर ब्रिजपर होनेवाली गोलीबारी और उस अत्यधिक उत्तेजित अवस्थामें लोगों द्वारा अपने मृत और जख्मी साथियोंको देखना था।

८. उत्तेजनाका कारण जो भी रहा हो, पर जन-समूहने जो अति की वह अत्यन्त ही खेदजनक और निन्दनीय है।

९. सार्वजनिक रूप से जितने भी तथ्य जनताके सामने रखे गये हैं उनमें ऐसा कोई कारण नहीं मिलता जिससे मार्शल लॉ लागू करनेका औचित्य सिद्ध हो सके।

१०. प्रत्येक जिलेमें शान्ति और व्यवस्था कायम हो चुकनेके बाद ही मार्शल लॉ की घोषणा की गई थी।

११. यदि कहा जाये कि मार्शल लॉकी घोषणा तो समूचे राज्यकी परिस्थितिको देखते हुए आवश्यक हो गई थी, तो भी मार्शल लॉकी अवधि अनुचित रूपसे बढ़ा दी गई थी।

१२. मार्शल लॉके अन्तर्गत पाँचों जिलोंमें जो कदम उठाये गये थे वे सर्वथा अनावश्यक, क्रूरतापूर्ण और दमनकारी थे और उनको उठाते समय उनसे प्रभावित होनेवाली जनताकी भावनाओंकी घोर उपेक्षा की गई थी।

१३. लाहौर, अकालगढ़, रामनगर, गुजरात, जलालपुर जट्टाँ, लायलपुर और शेखूपुरा में जनताने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जिसे ज्यादती कहा जा सके।