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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्ध में कांग्रेसकी रिपोर्ट

हर हड़तालके पीछे एक षड्यंत्र और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारेमें ब्रिटिश सत्ताके लिए खतरा नजर आने लगा और उन्होंने दूसरोंको भी ऐसा ही माननेके लिए विवश किया। अतः षड्यंत्रकी कहानी यदि टिक नहीं सकी तो आश्चर्य ही क्या।

और यदि मार्शल लॉ लागू करनेका कोई औचित्य नहीं था, तो फिर उसे करीब दो महीनेतक जारी रखना तो और भी अनुचित था। उसके तहत जो कदम उठाये गये वे अपनेको सभ्य कहनेवाली किसी भी सरकारके लिए कलंकस्वरूप हैं। मार्शल लॉ की शुरूआत जलियाँवाला बागमें निर्दोष नागरिकोंके कत्ले आमसे हुई थी । जनरल डायरने भय और आतंकका जो सिलसिला शुरू किया था, सर माइकेल ओ'डायरने, काले कारनामोंसे भरे अगले दो महीनोंमें, उसीकी ताईद की । यदि हमारे आँकड़े सही हैं, और हम मानते हैं कि वे सही हैं, तो इस दौरान लगभग १,२०० व्यक्तियोंको जानसे हाथ धोना पड़ा, कमसे-कम ३६,००० व्यक्ति जख्मी हुए और कुछ सदाके लिए अपंग बन गये। गम्भीर उत्तेजनावश जनता द्वारा किये गये गलत कामोंकी तुलनामें जनतासे यह जो बदला लिया गया वह इतना अधिक भयंकर था कि दोनोंकी कोई तुलना ही नहीं की जा सकती। और जो लोग बच गये थे, उनको मार्शल लॉ के दौरान तिल-तिलकर जो यंत्रणाएँ दी गई उनका हम काफी विशद वर्णन कर आये हैं। हम यही आशा कर सकते हैं कि इस रिपोर्टमें जिन तथ्योंका उद्घाटन हमने किया है उसके फलस्वरूप भविष्य में ऐसे अत्याचारोंकी पुनरावृत्ति असम्भव हो जायेगी।

छठा अध्याय

निष्कर्ष

हमने मार्शल लॉकी घोषणा में सम्मिलित किये गये पांचों जिलोंका वर्णन कर दिया है। हमने सर माइकेल ओ'डायरके शासनका विवरण भी प्रस्तुत कर दिया है और साथ ही रौलट अधिनियम तथा सत्याग्रह आन्दोलनका लेखा-जोखा देनेका प्रयास किया है।

हम यह भी बतलाना चाहते हैं कि हमने अपने सामने प्रस्तुत तथ्योंतक ही अपने-आपको मर्यादित रखनेका प्रयास किया है। हमें जो साक्ष्य मिले और जिन्हें अलग प्रकाशित किया जा रहा है तथा लॉर्ड हंटरकी समितिके सामने प्रस्तुत किये गये साक्ष्य और मार्शल लॉ न्यायाधिकरणोंकी कार्यवाहियाँ ही हमारे निष्कर्षोका आधार हैं।

हमें अनेक स्थानोंपर कुछ कठोर भाषाका भी प्रयोग करना पड़ा है, लेकिन हमने प्रत्येक शब्दको, हर विशेषणको अच्छी तरह तोलकर देखने के बाद ही उसका इस्तेमाल किया है। बल्कि हमारा कहना है कि हमने पंजाब सरकारके खिलाफ जितना कहना चाहिए था उससे कुछ कम ही कहा है। हम मानते हैं कि हमें सरकारसे यह आशा करनेका कोई अधिकार नहीं कि वह अपने आचरणमें कभी कोई गलती नहीं करेगी।