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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बस, इतनी-सी बातपर बाकायदे मार्शल लॉ घोषित कर दिया गया। इसके बाद ही प्रतिष्ठित नागरिकोंकी गिरफ्तारी शुरू हुई। कुल १७ गिरफ्तारियाँ हुईं। उनमें से एकको तो अदालत में पेश किये बिना ही छोड़ दिया गया। अन्य लोगोंको मार्शल लॉ कमिशनके सामने पेश किया गया। उनमें से दस छोड़ दिये गये और शेष छः को अलग-अलग सजाएँ सुना दी गईं।

मार्शल लॉके दौरान स्कूली लड़कों, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल थे, को प्रति दिन तीन बार थाने जाकर हाजिरी देनी पड़ी।

बिल्कुल अकारण ही इस गांवपर १२,००० रुपयेका हर्जाना ठोक दिया गया है, और उसका छठा भाग वसूला भी जा चुका है।

मलकवाल

मलकवाल एक महत्त्वपूर्ण रेलवे जंकशन है। यहाँ लालामूसा होकर जाते हैं। लालामूसा बड़ी लाइनपर गुजरातसे दस मीलसे कुछ ही अधिक दूरीपर है। इसकी आबादी ३,००० है। मलकवालमें १७ अप्रैलको कुछ लोगों, शायद रेलवे मजदूरोंने, एक पटरी उखाड़ दी थी और इस प्रकार रेलवे यात्रियोंके लिए खतरा पैदा कर दिया था। और सचमुच एक गाड़ी पटरीसे उतर भी गई, लेकिन सौभाग्यसे उससे कोई नुकसान नहीं पहुँचा।

यथासमय मलकवालमें भी मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और फिर यहाँ भी वही सब हुआ जो अन्यत्र हुआ था; जांच करनेपर हमें पता चला कि चालीस से अधिक व्यक्ति गिरफ्तार किये गये थे। उनमें तरुण विद्यार्थी ओर बीसेक रेलवे क्लकं भी थे। इनमें से आठ बरी कर दिये गये, और १५ से ज्यादा लोगोंको बिना मुकदमा चलाये छोड़ दिया गया, पर उनको काफी दिनोंतक हिरासतमें रहना पड़ा।

प्रतिष्ठित नागरिकोंको अफसरोंके पंखे खींचनेपर मजबूर किया गया। उनसे सड़कोंकी सफाईके साथ अन्य काम भी कराये गये। स्कूली बच्चोंको हर रोज जाकर तीन बार ब्रिटिश झंडेको सलामी देनेपर विवश किया गया । रेलवे क्लकोंको बरी होनेपर भी नौकरीसे बरखास्त कर दिया गया। उनमें से कुछ तो ऐसे भी थे जिनकी नौकरी तीस सालसे भी ज्यादाकी हो चुकी थी । तो इस प्रकार अब हमने जिन पाँच जिलों- अमृतसर, लाहौर, गुजराँवाला, लायल- पुर और गुजरात --में मार्शल लॉ लागू किया गया था उनसे सम्बन्धित गत अप्रैलकी सारी घटनाओंका यथासम्भव संक्षिप्त रूपमें सिंहावलोकन कर लिया है। हमारी तो इच्छा थी कि पंजाबकी इन दुःखद घटनाओंको हम उचित विस्तारके साथ पेश करें, लेकिन हम ऐसा कर नहीं पाये; इन्हें हमने दुःखद इसलिए कहा कि इनके साथ कोई और विशेषण जोड़ा ही नहीं जा सकता। हमने जनताके समक्ष जो बयान प्रस्तुत किये हैं उनमें अत्या- चार, भ्रष्टाचार और मानवीय भावनाओंकी घोर उपेक्षाकी जो कहानी भरी पड़ी है इस छोटेसे विवेचनमें उस सबका समावेश कर पाना हमारी सामर्थ्य से बाहर है। हमने प्रयास यही किया है कि दोनों पक्षोंको निष्पक्षताके साथ पेश करें। हमारी कोशिश रही है कि अधिकारियोंको अचानक ही जैसी असाधारण परिस्थितिका सामना करना