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पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

बैरिस्टर श्री रामदास छोकरा कहते हैं कि उन्हें सत्याग्रहपर एक निबन्ध पढ़ने के अपराध में “लालपुर नगरपालिकाकी सीमामें" नजरबन्द कर दिया गया था और यह नजरबन्दी मार्शल लॉ खत्म होनेतक चलती रही। वे कहते हैं:

लेकिन एक और भी हुक्म दिया गया था, जिसका पालन नजरबन्दीसे कहीं ज्यादा मुश्किल था। हुक्म था कचहरी बाजारके मेरे दफ्तरपर मार्शल लॉ सम्बन्धी नोटिस लगानेके बारेमें। मेरा दफ्तर मेरे घरसे करीब आधा मील दूर है, और इतनी दूरसे मार्शल लॉ सम्बन्धी नोटिलोंकी देखभाल करनेके लिए पूरी तरह एक इसी कामसे बँधे रहना एक बहुत कठिन जिम्मेदारी थी। मैंने इसके बारेमें कमांडरसे बड़ी विनम्रताके साथ अनुरोध किया, पर उसे अनसुना कर दिया गया। मैंने कमांडरसे कहा कि मेरा दफ्तर मेरे घरसे काफी दूर है, इसलिए अच्छा हो अगर मार्शल लॉके नोटिस (इश्तिहार) मेरी अनुपस्थितिमें मेरे दफ्तर-पर न लगवाये जाकर मुझे व्यक्तिगत रूपसे दे दिये जायें क्योंकि मेरे दफ्तरपर लगवाने से यह भी हो सकता है कि मुझे नोटिस लगनेकी बात पता चलनेसे पहले ही वे फाड़ डाले जायें। मैंने उनसे यह भी अनुरोध किया कि मुझे वे इश्तिहार एक पटलपर चिपकानेकी अनुमति दे दें, मैं उनको दिनके समय ऐसे स्थानपर रखवाने की व्यवस्था कर दूंगा कि लोग उनको देख सकें, और रातको में उनको हटवा दूंगा जिससे रातको मुझे उनकी चौकसी नहीं करनी पड़े। कमांडरने कहा है कि मेरे अनुरोध सर्वथा उचित हैं, और वे उनके बारेमें डिप्टी कमिश्नरसे सलाह-मशविरा करके मुझे बतलायेंगे। दूसरे दिन मुझे बतलाया गया कि मुझे रोज शामको पुलिस सुपरिटेंडेंटके दफ्तर जाकर पता लगाना चाहिए कि मार्शल लॉके कोई इश्तिहार हैं या नहीं। लेकिन मेरे दूसरे अनुरोधके बारेमें उन्होंने बिल्कुल चुप्पी साध ली।

अपने खिलाफ ये आदेश जारी किये जानेके बाद मैंने डिप्टी कमिश्नरसे मुलाकात की और उनसे सीधा सवाल किया कि मुझे इस तरह तंग क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे बारेमें उनको जो खबरें दी जाती रही हैं,वे अच्छी नहीं हैं। मैंने कहा: "मैंने भी यही सुना है। क्या आप यह बतलानेकी कृपा करेंगे कि मेरे खिलाफ शिकायतें क्या है? " उन्होंने इसके लिए पुलिसके कागजात देखनेका वादा किया। इसके बाद में दो बार उनके पास गया लेकिन हर बार मुझसे यही कहा गया कि उनको कागजात देखनेका समय नहीं मिल पाया। और में आजतक नहीं समझ पाया कि अधिकारियोंके इस विचित्र रवैयेका कारण क्या था। (बयान ५२०)

यहाँ भी लोगोंपर झूठी गवाही देनेके लिए वैसे ही दबाव डाले गये। जैसे कि हम अन्य स्थानोंके सम्बन्धमें बतला आये हैं। एक अधिकारीने एक गवाहपर एक खास किस्मकी गवाहीके लिए दबाव डालनेके दौरान एक बड़ा उल्लेखनीय वाक्य कहा: "या