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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पुलिसवाले ही जानें कि बादमें उन्होंने मामला क्यों वापस ले लिया। लाला अमीर- चन्द बतलाते हैं कि उन्हें बाद में पता चला कि उन्हें इस सन्देहमें गिरफ्तार किया गया था कि चूंकि वे बंगाल से आये हैं इसलिए उनके पास कुछ शस्त्रास्त्र हो सकते हैं। अन्तमें वे कहते हैं:

इसीलिए मुझे गिरफ्तार करने जो अफसर मेरे घर आये थे वे पिस्तौलें लिये हुए थे। (बयान ५२४)

सरदार संतसिंहने वकीलों और अन्य लोगोंके मुकदमोंका बड़ा ब्योरेवार वर्णन किया है। वे बतलाते हैं कि सफाई देनेके दौरान कैसे हर कदमपर उनके लिए अड़चनें पैदा की गईं, कैसे हर काममें देर की गई, और जब इस तरह हर काममें देर की जा रही थी उस दौरान किस तरह उनको नजरबन्द रखा गया, और यद्यपि मार्शल लॉकी अवधि समाप्त होनेपर भी उनके मुकदमोंकी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी फिर भी उन्हें कैसे सजा दे दी गई। अच्छा यह रहा कि मार्शल लॉकी समाप्तिके बाद इन मुकदमोंका फैसला होने के कारण वे उसकी अपील कर सकते थे। ऊपरकी अदालतने सजाओंको अवैधानिक करार दिया और मुकदमे फिर नये सिरेसे सुनवाईके लिए निचली अदालतमें भेज दिये गये। फिर उनको २३ जुलाईको रिहा कर दिया गया, लेकिन तुरन्त ही फिर गिरफ्तार कर लिया गया। पर इस बार उनको जमानतपर छोड़ दिया गया।

इसके बाद उन सभीने पूरी निश्चिन्ततासे अपनी वकालत फिर शुरू कर दी। लेकिन मजिस्ट्रेटने उनको फिर बुला भेजा और उनको बतलाया कि वे अभी भी हवा- लाती हैं और "दोषपूर्ण आचरणके अपराधी” हैं, इसलिए वे अपनी वकालत शुरू नहीं कर सकते। गवाहका कहना है कि हालाँकि मजिस्ट्रेटने उनको यह सब बतौर मशविरेके ही कहा था, पर उन्होंने वकालत शुरू न करने में ही बुद्धिमानी समझी। लेकिन अब भी नाटकका अन्त नहीं हुआ था। १ अक्तूबरको उनके खिलाफ बिना जमानती वारंट जारी कर दिये गये।

उनको गिरफ्तार कर लिया गया और गवाह कहता है:

हमें गन्दे कमरेमें फर्शपर गन्दी किस्मकी चटाइयोंपर सोनेके लिए मजबूर कर अपमानित किया गया; जेलमें हवालातियोंके साथ रखनेका हमारा अनुरोध भी अनसुना कर दिया गया।

लेकिन अन्त में इस अत्याचारके विरुद्ध शाही परिषद् में माननीय पंडित मदन- मोहन मालवीय द्वारा जोरदार आवाज उठानेपर मुकदमा वापस ले लिया गया और वकीलोंको नजरबन्दीसे रिहा कर दिया गया। (बयान ५१६)

१. पंडित मदनमोहन मालवीयने (पंजाबने मार्शल लोंकी स्थितिके सम्बन्धमें) ९२ प्रश्नोंकी पूर्व- सूचना दी थी। ये प्रश्न वे शादी विधान परिषद्में सितम्बर १९१९ में पूछना चाहते थे। लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई ।