पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३३९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०७
पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें कांग्रेसकी रिपोर्ट

वहाँसे तुरन्त भूसेकी गाँठोंमें लग गई। भूसेकी रखवालीके लिए तैनात चौकीदार उस समय वहाँ नहीं था। स्टोर (कीपर) बाबू या भूसेकी गाँठ आदि बंधवाने- रखवाने के लिए जिम्मेदार अधिकारी आग शुरू होनेके थोड़ी देर बाद ही वहाँ पहुँच गया। मैं भी आग शुरू होनेके कुछ ही देर बाद घुड़सवार सैनिकोंके साथ उस स्थानपर पहुँच गया। में जब पहुँचा तो वहाँ फैक्टरियोंके कुछ लोग, नगर- पालिकाके चन्द कर्मचारी और ऊपर जिसका उल्लेख किया गया है उस स्टोर बाबूके अतिरिक्त कोई नहीं था । उन गाँठोंके पासतक किसी भीड़के जाने या आसपास किसी व्यक्तिके दिखाई पड़ने की कोई जानकारी नहीं मिलती। चौकीदार- की गैर-हाजिरीकी वजह उसका आलसीपन मालूम पड़ता है। उसके पीछे किसी पूर्व-प्रबन्ध या पूर्व-योजनाका आभास नहीं मिलता। रेलवे-मालगोदामके आसपास न तो गश्ती पुलिसने और न पहरेदार ही ने ऐसा कुछ देखा जिससे सन्देह उत्पन्न होता। वादके अंधड़ने और दूसरे ढेरोंको आगसे बचानेमें सहायता पहुँचानेवाले लोगोंके पैरोंके निशानोंने, सबूत मिलनेकी सारी सम्भावना ही खत्म कर दी।

पुलिसने बहुत बारीकीसे जाँच की। उसमें भी भूसेमें आग लगानेका कोई सुराग नहीं मिला । लायलपुरके मुकदमोंके कुछ मुखबिर थे, जो लायलपुरके उपद्रवोंके लिए सजा पानेवाले अभियुक्तोंके सहकर्मी और विश्वासपात्र रह चुके थे। लेकिन वे भी भूसेनें आग लगनेके सिलसिलेमें कोई सूचना नहीं दे सके। लगता है, उनके सहकर्मियोंकी ऐसी कोई योजना नहीं थी।

उस समय इसके पीछे उपद्रवकारियोंका हाथ होनेका सन्देह गहरा होनेके कारण ये थे:

(१) उपद्रवोंके सिलसिलेमें अन्य स्थानोंपर इसी प्रकारके काण्ड हो चुके थे।

(२) कहा जाता है कि टोबा टेकसिंहमें भूसा जलानेकी कोई साजिश की भी गई थी।

(३) यह तथ्य कि एक दिन पहले माल-गोदामसे सामान हटाया जा चुका था।

लेकिन पुलिसको जाँचसे भूसेमें आग लगाये जानेकी इस घटनाके साथ उप- द्रवकारियों या किसी उपद्रव या दंगेका कोई सम्बन्ध नहीं जोड़ा जा सका है। लायलपुरके उपद्रवोंके सिलसिलेमें सजा भुगतनेवाले कैदियोंसे मैंने पूछताछ की। अब, जबकि उन्हें सजा दी जा चुकी है, उनको इस सम्बन्धमें कोई बात छिपानेकी जरूरत नहीं रह गई है, और उन्होंने अन्य कई बातोंके सम्बन्धमें मुझे बहुत कुछ बतलाया भी है, पर भूसा-कांडके बारेमें किसीने कोई जानकारी नहीं दी।

मैंने इस अटकलकी भी जांच की है कि इसके पीछे कहीं गांवके किसी एक आदमी या कई आदमियोंका हाथ तो नहीं था । पर मुझे ऐसा कोई सूत्र नहीं मिल सका।