पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 17.pdf/३३८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

स्वाँग-भर थे। जोर-जबरदस्तीके तरीकोंके बारेमें जो सबूत मिलते हैं, उनसे एक काफी भयंकर चित्र सामने आता है।

लायलपुर

लायलपुर ही लायलपुर जिलेका सदर मुकाम है। यह एक नया शहर है, जिसकी आबादी १५,००० से ऊपर है। यह प्रान्त-भरमें गेहूँ बाहर भेजनेकी बड़ी मंडियों में से एक है। यहाँ ६ अप्रैलको एक स्वतःस्फूतं और पूर्ण हड़ताल हुई थी और एक सार्वजनिक सभा भी हुई थी, जिसमें प्रस्ताव पास किये गये; और बहुत सावधानी के साथ तैयार किये गये लिखित भाषण दिये गये, जिनका स्वर काफी संयत था । यह सभा अधिकारियों- से मशविरा करके ही की गई थी। १२ तारीखतक कोई घटना नहीं घटी। लेकिन तबतक श्री गांधी, डा० किचलू और डा० सत्यपालकी गिरफ्तारियों और लाहोर तथा अमृतसरमें गोली चलनेकी खबरें यहाँ पहुँच चुकीं थीं। इसपर फिर एक स्वतःस्फूर्त हड़ताल हुई। नेताओंने हड़ताल टालनेकी कोशिश की, लेकिन वे जनताकी भावनाओंको काबू नहीं कर सके। फिर भी उन्होंने शान्ति बनाये रखने में अधि- कारियोंकी बड़ी मदद की। स्वर्ण मन्दिर (अमृतसर) पर की गई तथाकथित गोली- बारीकी अफवाहोंसे विशेषरूप से सिखोंके बीच काफी उत्तेजना फैल गई और हड़ताल लम्बी खिंच गई। लेकिन नेताओंकी चतुराई और सतर्कता के कारण १५ तारीखको हड़ताल समाप्त हो गई। शहरमें किसी भी किस्मका कोई उपद्रव नहीं हुआ। लायलपुरके निकट तार काटने की घटनाएँ हुई, लेकिन तार काटनेकी घटनाओंका हड़तालसे कोई सम्बन्ध नहीं था और न ही लायलपुरके किसी व्यक्तिसे उसका कोई सम्बन्ध था। स्टेशनपर भूसेकी गाँठें जमा थीं, उनमें आग लगा दी गई थी। इसे उपद्रवकारियोंका काम समझा गया। इस सिलसिले में निर्दोष व्यक्तियोंको गिरफ्तार किया गया और उनको बहुत तंग किया गया। परन्तु सेक्रेटरी ऑफ स्टेट द्वारा हर्जानेका दावा करनेपर जब इसकी पूरी तौरपर जाँच कराई गई तो मजिस्ट्रेटने पाया कि भूमें आग लगाने का काम उपद्रवियोंका नहीं था; और फलतः उसने दावा खारिज कर दिया। परन्तु दुर्भाग्यवश जाँच इतनी देरीसे कराई गई कि उससे निर्दोष लोगोंका कोई भला नहीं हो सका। हमने अपने दर्ज किये हुए बधानोंके साथ उस फैसलेकी प्रति भी संलग्न कर दी है। मजिस्ट्रेट कहते हैं:

लगता है कि भूसेमें रातको सवा आठ और पौने नौ बजेके बीच आग लगी,गारदवालोंका ध्यान करीब आठ बजकर चालीस मिनटपर इस ओर गया। रात अंधेरी थी और उस समय फैक्टरियोंकी ओरसे तेज हवाके झोके आ रहे थे।इस तेज हवाने बादमें एक अत्यन्त प्रबल अंधड़का रूप धारण कर लिया।

आग भूसेकी गांठोंके उसी ढेरमें, या कहिये उसो गुम्बदाकार अम्बारमें लगी जो फैक्टरियोंके सबसे ज्यादा निकट था, और फिर आग शुरू भी हुई थी उस ढेरके उसी हिस्सेकी ओरसे जो फैक्टरियोंके सबसे करीब पड़ता था। आग सबसे पहले, गांठोंके ऊपर सिरकीका जो छान या छप्पर था उसमें लगी और